भारत की कूटनीतिक सफलता: चाबहार बंदरगाह पर अमेरिका से मिली छूट

भारतीय विदेश मंत्रालय की हालिया प्रेस वार्ता में अमेरिका द्वारा चाबहार बंदरगाह पर प्रतिबंधों से छह महीने की छूट देने की घोषणा की गई। यह निर्णय भारत की कूटनीतिक सफलता और रणनीतिक संतुलन का प्रतीक है। इस छूट के साथ, भारत अब बिना किसी प्रतिबंध के अपने क्षेत्रीय हितों को सुरक्षित रख सकता है। इसके अलावा, भारत ने पाकिस्तान पर भी कड़ी प्रतिक्रिया दी और ऊर्जा सुरक्षा के लिए अपनी बहुध्रुवीय नीति को जारी रखने का संकेत दिया। जानें इस महत्वपूर्ण कूटनीतिक घटनाक्रम के बारे में और कैसे भारत अपनी रणनीतिक स्थिति को मजबूत कर रहा है।
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भारत की कूटनीतिक सफलता: चाबहार बंदरगाह पर अमेरिका से मिली छूट

भारत की कूटनीतिक उपलब्धियाँ

भारतीय विदेश मंत्रालय की हालिया प्रेस वार्ता में कई महत्वपूर्ण कूटनीतिक संकेत सामने आए। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने बताया कि अमेरिका ने भारत को ईरान के चाबहार बंदरगाह पर लागू अपने प्रतिबंधों से छह महीने की छूट दी है। यह निर्णय केवल एक छूट नहीं, बल्कि भारत की कूटनीतिक सफलता और रणनीतिक संतुलन साधने की क्षमता का प्रमाण है।


व्यापार वार्ता और चाबहार पोर्ट

जायसवाल ने कहा, “हमें चाबहार पोर्ट पर अमेरिकी प्रतिबंधों से छह माह की छूट दी गई है।” यह घोषणा ऐसे समय में हुई है जब भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता अंतिम चरण में है। पिछले वर्ष, भारत ने ईरान के साथ एक दशक का अनुबंध किया था, जिसमें इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड (IPGL) ने इस बंदरगाह में 370 मिलियन डॉलर का निवेश करने का वादा किया था।


चाबहार पोर्ट का महत्व

चाबहार पोर्ट केवल एक व्यापारिक परियोजना नहीं है, बल्कि यह भारत की “कनेक्टिविटी डिप्लोमेसी” का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है। यह अफगानिस्तान और मध्य एशिया तक भारत की निर्बाध पहुंच सुनिश्चित करता है, पाकिस्तान को दरकिनार करते हुए। अमेरिकी छूट का मतलब है कि भारत अब इन परियोजनाओं पर बिना किसी प्रतिबंध के आगे बढ़ सकता है, जिससे उसके ईरान-केंद्रित क्षेत्रीय हित सुरक्षित रहेंगे।


अमेरिकी प्रतिबंधों का विश्लेषण

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने यह भी बताया कि भारत अमेरिकी प्रतिबंधों के तहत रूसी तेल कंपनियों पर नए प्रतिबंधों के प्रभाव का विश्लेषण कर रहा है। जायसवाल ने कहा, “हमारे निर्णय वैश्विक ऊर्जा बाजार की बदलती गतिशीलताओं पर आधारित हैं। हमारी प्राथमिकता 1.4 अरब लोगों के लिए सस्ती और स्थिर ऊर्जा सुनिश्चित करना है।” यह वक्तव्य भारत की “बहुध्रुवीय ऊर्जा नीति” की निरंतरता को दर्शाता है।


पाकिस्तान पर भारत की प्रतिक्रिया

विदेश मंत्रालय ने पाकिस्तान पर भी तीखी प्रतिक्रिया दी। जायसवाल ने कहा, “पाकिस्तान को यह स्वीकार करना चाहिए कि अफगानिस्तान अपनी संप्रभुता का स्वतंत्र रूप से प्रयोग कर रहा है।” यह बयान न केवल कूटनीतिक है, बल्कि सुरक्षा नीति के पुनर्परिभाषण का संकेत भी देता है।


भारत की रणनीतिक आपूर्ति श्रृंखलाएँ

जायसवाल ने बताया कि कुछ भारतीय कंपनियों को चीन से रेयर अर्थ मैग्नेट्स आयात करने के लाइसेंस मिले हैं। यह संकेत है कि भारत रणनीतिक आपूर्ति श्रृंखलाओं में विविधता बनाए रखना चाहता है।


प्रवासन मुद्दे पर जानकारी

विदेश मंत्रालय ने बताया कि इस वर्ष अब तक 2790 भारतीय नागरिकों को अमेरिका से और लगभग 100 को ब्रिटेन से वापस लाया गया है। सभी मामलों में नागरिकता की पुष्टि के बाद ही उन्हें भारत लाया गया।


ओआईसी सचिवालय की टिप्पणियाँ

भारत ने ओआईसी सचिवालय की टिप्पणियों को “निराधार और भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप” बताकर खारिज कर दिया। वहीं, जापान की नई प्रधानमंत्री से प्रधानमंत्री मोदी की वार्ता को जायसवाल ने “बहुआयामी साझेदारी” की दिशा में एक सकारात्मक पहल बताया।


भारत की बहुस्तरीय कूटनीति

चाबहार छूट से लेकर रूस-ईरान-चीन और क्वॉड तक, भारत ने अपनी बहुस्तरीय कूटनीतिक संतुलन कला का प्रदर्शन किया है। अमेरिकी छूट भारत के बढ़ते प्रभाव का प्रमाण है, लेकिन यह राहत अस्थायी है। चुनौती यह रहेगी कि अगले छह महीनों में भारत चाबहार को व्यवहारिक लाभ में कैसे बदलता है।