भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली में बदलाव लाने वाले नए कानूनों की घोषणा
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने तीन नए आपराधिक कानूनों की घोषणा की है, जो भारत की न्याय प्रणाली में महत्वपूर्ण बदलाव लाएंगे। इन कानूनों के तहत न्याय प्राप्त करने की समयसीमा को तीन साल तक सीमित किया जाएगा। शाह ने कहा कि तकनीक के उपयोग से यह सुनिश्चित किया जाएगा कि कोई भी अपराधी सजा से न बच सके। नए कानून 1 जुलाई, 2024 से लागू होंगे और इनमें जीरो एफआईआर और ऑनलाइन पंजीकरण जैसे प्रावधान शामिल हैं। जानें इन कानूनों के बारे में और अधिक जानकारी।
Jul 1, 2025, 19:39 IST
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नए आपराधिक कानूनों का प्रभाव
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हाल ही में तीन नए आपराधिक कानूनों की घोषणा की है, जिनमें भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम शामिल हैं। इन कानूनों के लागू होने से भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली में महत्वपूर्ण बदलाव आएंगे। शाह ने बताया कि इन कानूनों के पूर्ण कार्यान्वयन में अधिकतम तीन वर्ष का समय लगेगा। उन्होंने यह भी कहा कि न्याय प्राप्त करने में समय की कमी सबसे बड़ी चुनौती है।
न्याय की समयसीमा का आश्वासन
शाह ने विश्वास व्यक्त किया कि अब देश के किसी भी हिस्से में एफआईआर दर्ज करने पर न्याय तीन साल के भीतर मिलेगा। उन्होंने बताया कि बीएनएस, बीएनएसएस और बीएसए ने क्रमशः औपनिवेशिक युग के कानूनों की जगह ली है। ये नए कानून 1 जुलाई, 2024 से लागू होंगे। गृह मंत्री ने इन कानूनों को स्वतंत्र भारत का सबसे बड़ा सुधार बताया और कहा कि तकनीक के उपयोग से यह सुनिश्चित किया जाएगा कि अपराधी सजा से बच न सकें।
नए कानूनों के विशेष प्रावधान
उन्होंने कहा कि न्याय निश्चित रूप से निर्धारित समय के भीतर दिया जाएगा। शाह ने कहा, "नरेंद्र मोदी सरकार ने आपके लिए कानून बनाए हैं जो आपके अधिकारों की रक्षा करेंगे।" 1 जुलाई, 2024 से सभी नई एफआईआर बीएनएस के तहत दर्ज की जाएंगी, जबकि पहले दर्ज मामलों को पुराने कानूनों के तहत ही निपटाया जाएगा। नए कानूनों में जीरो एफआईआर और ऑनलाइन पंजीकरण जैसे आधुनिक प्रावधान शामिल हैं।