भारत की अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 7% तक पहुंचने की संभावना: मुख्य आर्थिक सलाहकार
भारत की आर्थिक स्थिति
देश की इकोनॉमी
जब अमेरिका ने भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाया था, तब मुख्य आर्थिक सलाहकार वी. अनंत नागेश्वरन ने देश की जीडीपी वृद्धि का अनुमान 6 प्रतिशत लगाया था। उन्होंने पहले के 6.3 प्रतिशत के अनुमान को घटाते हुए यह आकलन किया था। अब, जीएसटी सुधारों के चलते, जो देश की आर्थिक वृद्धि और संकेतकों को मजबूती प्रदान कर रहे हैं, उन्होंने अपने पूर्वानुमान में बदलाव किया है। उन्होंने कहा है कि भारत वैश्विक चुनौतियों का सामना अच्छे तरीके से कर रहा है, और इस वित्तीय वर्ष में देश की वृद्धि दर 7 प्रतिशत तक पहुंच सकती है।
साख में सुधार
साख में हुआ इजाफा
वी. अनंत नागेश्वरन ने बुधवार को कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था ने वैश्विक चुनौतियों का संतोषजनक तरीके से सामना किया है। उन्होंने विश्वास जताया कि वित्त वर्ष 2025-26 में जीडीपी की वृद्धि दर 7 प्रतिशत तक पहुंच सकती है। उन्होंने कहा कि तीन प्रमुख वैश्विक रेटिंग एजेंसियों ने हाल ही में भारत की साख में वृद्धि की है, और यदि देश इसी दिशा में आगे बढ़ता रहा, तो वह जल्द ही ए रेटिंग श्रेणी में आ सकता है।
जीडीपी को मजबूती देने वाले कारक
किससे मिली जीडीपी को ताकत?
उन्होंने कहा कि इस वर्ष वैश्विक अनिश्चितताओं और शुल्क संबंधी घटनाओं से निपटने के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था के दृष्टिकोण से हमें संतोष होना चाहिए। मुख्य आर्थिक सलाहकार ने बताया कि आयकर में राहत और जीएसटी को युक्तिसंगत बनाने जैसे नीतिगत उपायों ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए आर्थिक वृद्धि की संभावनाओं को बेहतर बनाया है, जिससे यह लगभग 7 प्रतिशत तक पहुंच गई है।
पहले के अनुमान में कमी
पहले कम किया था अनुमान
नागेश्वरन ने फरवरी में अनुमान लगाया था कि चालू वित्त वर्ष में जीडीपी की वृद्धि दर 6.3 प्रतिशत तक रह सकती है। हालांकि, अमेरिकी शुल्क के कारण उन्होंने इसे घटाकर 6 प्रतिशत कर दिया था। उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था की मजबूती और मांग बढ़ाने के लिए समय पर उठाए गए नीतिगत कदमों ने हमें एक आरामदायक स्थिति में ला दिया है।
बैंक ऋण वृद्धि पर प्रतिक्रिया
इस पर भी दिया जवाब
बैंक ऋण वृद्धि में सुस्ती की आलोचना का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि हमें अर्थव्यवस्था में कुल संसाधन जुटाने पर ध्यान देना चाहिए, जिसमें गैर-बैंक ऋणदाता, वाणिज्यिक पत्र, जमा प्रमाणपत्र और इक्विटी बाजार शामिल हैं। आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार, पिछले छह वर्षों में अर्थव्यवस्था में कुल संसाधन जुटाने में 28.5 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि हुई है। नागेश्वरन ने यह भी कहा कि आरबीआई ने नीतिगत ब्याज दरों में कटौती की है और अर्थव्यवस्था में धन की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए नकदी उपाय किए हैं।
