भारत की अर्थव्यवस्था: IMF की रिपोर्ट में नई उपलब्धियां और भविष्य की संभावनाएं

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की हालिया रिपोर्ट ने भारत की अर्थव्यवस्था को लेकर नई बहस छेड़ दी है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत अब 4.19 ट्रिलियन डॉलर की जीडीपी के साथ दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है। IMF ने भविष्यवाणी की है कि 2030 तक भारत दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि जीडीपी केवल आर्थिक प्रगति का एक मापदंड है और देश में कई अन्य सामाजिक मुद्दे भी हैं। जानें भारत की आर्थिक स्थिति और भविष्य की संभावनाओं के बारे में।
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भारत की अर्थव्यवस्था: IMF की रिपोर्ट में नई उपलब्धियां और भविष्य की संभावनाएं

भारत की नई आर्थिक स्थिति

हाल ही में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) द्वारा जारी की गई रिपोर्ट ने भारत की आर्थिक स्थिति पर एक नई चर्चा को जन्म दिया है। IMF के अनुसार, भारत अब 4.19 ट्रिलियन डॉलर की जीडीपी के साथ जापान को पीछे छोड़कर दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। यह आंकड़ा IMF की अप्रैल 2025 में प्रकाशित वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक रिपोर्ट में अनुमानित किया गया था, जो अब वास्तविकता में बदल चुका है।


भारत की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था

IMF ने भारत की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था पर फिर से भरोसा जताया है। IMF की 2025-2030 की इकोनॉमी रिपोर्ट में भारत की अर्थव्यवस्था को तेजी से बढ़ते हुए दर्शाया गया है। IMF के अनुमान के अनुसार, 2030 तक भारत केवल तीसरी नहीं, बल्कि दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। ऐसे में यह जानना दिलचस्प होगा कि पहले और दूसरे स्थान पर कौन हो सकता है।


IMF की 2025 टॉप 10 इकोनॉमी लिस्ट

IMF की 2025 टॉप 10 इकोनॉमी लिस्ट:



  1. अमेरिका 30.51

  2. चीन 19.23

  3. जर्मनी 4.74

  4. भारत 4.19

  5. जापान 4.18

  6. यूनाइटेड किंगडम 3.84

  7. फ्रांस 3.21

  8. इटली 2.42

  9. कनाडा 2.23

  10. ब्राजील 2.13


भारत की संभावनाएं

Bloomberg और Global Times के अनुसार, भारत 2025 से 2030 के बीच अमेरिका और चीन के साथ मिलकर दुनिया की तीन सबसे बड़ी ग्रोथ इंजन अर्थव्यवस्थाओं में शामिल होगा। यदि यह गति बनी रही, तो भारत जल्द ही अमेरिका को पीछे छोड़कर दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। IMF की रिपोर्ट के अनुसार, पहली बड़ी अर्थव्यवस्था चीन और तीसरी अमेरिका होगी।


GDP आंकड़े और वास्तविकता

हालांकि भारत की इस आर्थिक प्रगति पर गर्व करना स्वाभाविक है, लेकिन जीडीपी ही देश की समग्र प्रगति का एकमात्र मापदंड नहीं है। विशेषज्ञों का मानना है कि जीडीपी केवल आर्थिक उत्पादन का माप है, लेकिन यह यह नहीं दर्शाता कि देश में गरीबी, शिक्षा, स्वास्थ्य, लैंगिक असमानता और जीवन की गुणवत्ता कैसी है। भारत में अभी भी ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं की कमी है, और महिलाओं का अवैतनिक श्रम एक महत्वपूर्ण आर्थिक भूमिका निभाता है, जिसे जीडीपी में नहीं गिना जाता।