भारत का सेवा क्षेत्र: 6 साल में 4 करोड़ नई नौकरियों का सृजन

नीति आयोग की नई रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत के सेवा क्षेत्र ने पिछले 6 वर्षों में 4 करोड़ नई नौकरियों का सृजन किया है। यह क्षेत्र अब देश का सबसे बड़ा रोजगार सृजक बन गया है, लेकिन रिपोर्ट में नौकरियों की गुणवत्ता और पहुंच पर गंभीर सवाल भी उठाए गए हैं। जानें इस रिपोर्ट में क्या-क्या महत्वपूर्ण बातें शामिल हैं और किस प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
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भारत का सेवा क्षेत्र: 6 साल में 4 करोड़ नई नौकरियों का सृजन

सेवा क्षेत्र बना सबसे बड़ा रोजगार सृजक

भारत का सेवा क्षेत्र: 6 साल में 4 करोड़ नई नौकरियों का सृजन

भारत में रोजगार के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण जानकारी सामने आई है। नीति आयोग ने मंगलवार को एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें बताया गया है कि पिछले 6 वर्षों में भारत के सेवा क्षेत्र ने 4 करोड़ (40 मिलियन) नई नौकरियों का सृजन किया है। यह क्षेत्र अब देश का सबसे बड़ा रोजगार सृजक बन गया है।


कोरोना के बावजूद सेवा क्षेत्र की मजबूती

कोरोना भी नहीं रोक पाया ‘सर्विस सेक्टर’ की रफ्तार

नीति आयोग की रिपोर्ट, जिसका शीर्षक “इंडियाज सर्विसेज सेक्टर: इनसाइट्स फ्रॉम एम्प्लॉयमेंट ट्रेंड्स एंड स्टेट-लेवल डायनेमिक्स” है, कई महत्वपूर्ण तथ्य प्रस्तुत करती है। रिपोर्ट के अनुसार, वर्तमान में लगभग 18.8 करोड़ (188 मिलियन) लोग सेवा क्षेत्र में कार्यरत हैं। यह क्षेत्र देश की कुल अर्थव्यवस्था में लगभग 55% का योगदान देता है और कोविड-19 महामारी के दौरान भी अपनी मजबूती बनाए रखा है।


रोजगार की गुणवत्ता पर सवाल

नौकरियां तो हैं सुविधाएं गायब

हालांकि, नीति आयोग ने एक महत्वपूर्ण समस्या की ओर भी ध्यान आकर्षित किया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के कार्यबल का लगभग एक-तिहाई हिस्सा सेवा क्षेत्र में है, लेकिन अधिकांश नौकरियां पारंपरिक और कम उत्पादकता वाले क्षेत्रों में हैं। खुदरा व्यापार और परिवहन जैसे क्षेत्रों में लोग काम कर रहे हैं, लेकिन यहां अनौपचारिकता और असुरक्षा का सामना करना पड़ता है।


महिलाओं और ग्रामीण युवाओं के लिए चुनौतियां

बड़े शहर आगे, महिलाएं और गांव पीछे

रिपोर्ट में नौकरियों की गुणवत्ता और उनकी पहुंच पर भी गंभीर सवाल उठाए गए हैं। इसमें तीन मुख्य चुनौतियों का उल्लेख किया गया है: पहली, नौकरियों की खराब गुणवत्ता; दूसरी, लैंगिक और स्थानिक खाई; और तीसरी, क्षेत्रीय असमानता। नीति आयोग की दूसरी रिपोर्ट में यह स्पष्ट है कि जिन राज्यों में सेवा अर्थव्यवस्था विकसित है, वहां प्रति व्यक्ति आय भी अधिक है।