भारत का समुद्रयान मिशन: गहरे समुद्र में मानव अन्वेषण की तैयारी

समुद्रयान मिशन का परिचय
भारत महासागरों के गहरे हिस्सों का अन्वेषण करने के लिए एक महत्वाकांक्षी मिशन 'समुद्रयान' की योजना बना रहा है। यह मिशन समुद्र की 6 किलोमीटर गहराई में मानव भेजने का लक्ष्य रखता है। महासागरों में ऐसे कई प्राचीन और अछूते वातावरण हैं, जिनका अध्ययन करना मानवता के लिए महत्वपूर्ण है।
मिशन की विशेषताएँ
समुद्रयान, जो पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा संचालित है, भारत का पहला मानवयुक्त गहरे समुद्र मिशन है। इसका उद्देश्य एक विशेष वाहन के माध्यम से तीन व्यक्तियों को समुद्र तल से 6 किलोमीटर नीचे भेजना है। यह वाहन अत्यधिक दबाव, ठंडे तापमान और अंधकार में कार्य करने में सक्षम होगा।
मंत्री का बयान
केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने नई दिल्ली में मंत्रालय के 19वें स्थापना दिवस समारोह में इस मिशन की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि जैसे 'गगनयान' मिशन के तहत भारत एक अंतरिक्ष यात्री को अंतरिक्ष में भेजने की तैयारी कर रहा है, उसी प्रकार 'समुद्रयान' मिशन भी वैज्ञानिक क्षमता को समुद्र की गहराइयों तक ले जाएगा।
मत्स्य-6000: मानवयुक्त पनडुब्बी
मत्स्य-6000 एक मानवयुक्त पनडुब्बी है, जिसे 5,000 मीटर से अधिक की गहराई तक तीन लोगों को ले जाने के लिए विकसित किया जा रहा है। इसमें टाइटेनियम से बना 2.1 मीटर का कार्मिक गोला होगा, जो सुरक्षित यात्रा सुनिश्चित करेगा। यह पनडुब्बी विभिन्न प्रणालियों से लैस होगी, जो अवरोहण, आरोहण, और आपातकालीन सहायता प्रदान करेंगी।
विशेषताएँ और क्षमताएँ
इस पनडुब्बी का डिज़ाइन इस प्रकार किया गया है कि यह 5,000 मीटर की गहराई पर 12 घंटे तक कार्य कर सकेगी और गहरे पानी में अवलोकन के लिए 96 घंटे तक आपातकालीन क्षमता रखेगी। यह मिशन समुद्र के गहरे हिस्सों में अन्वेषण के लिए एक नई दिशा प्रदान करेगा।