भारत का बंगाल की खाड़ी में मिसाइल परीक्षण: रेंज और रणनीतिक महत्व
भारत का मिसाइल परीक्षण कार्यक्रम
मिसाइल टेस्ट सांकेतिक
भारत ने बंगाल की खाड़ी में अब्दुल कलाम द्वीप के निकट एक नो-फ्लाई ज़ोन के लिए NOTAM जारी किया है, जो 24 दिसंबर 2025 को संभावित मिसाइल परीक्षण का संकेत देता है। इस नोटिस में परीक्षण की रेंज लगभग 3240 किलोमीटर बताई गई है।
सूत्रों के अनुसार, पहले यह परीक्षण 1 से 4 दिसंबर के बीच होना था, लेकिन हिंद महासागर क्षेत्र में चीनी अनुसंधान जहाजों की उपस्थिति के कारण इसे स्थगित करना पड़ा। नवंबर और दिसंबर की शुरुआत में भी कई परीक्षणों को टाला गया था। माना जा रहा है कि ये चीनी जहाज भारत की रणनीतिक और सबमरीन आधारित मिसाइल क्षमताओं, विशेषकर K-4 SLBM से संबंधित गतिविधियों पर नजर रख रहे थे।
चीन की निगरानी और भारत की सतर्कता
भारत की गतिविधियों पर चीन की लगातार नजर
चीन ने हाल के समय में हिंद महासागर में अपनी सर्वेक्षण और अनुसंधान जहाजों के माध्यम से भारत की नौसैनिक गतिविधियों की निगरानी की है। इस कारण भारत अपने रणनीतिक परीक्षणों में अतिरिक्त सतर्कता बरत रहा है। भारत ने चीन के इन खुफिया अभियानों का विरोध किया है।
वर्तमान क्षेत्रीय तनाव के माहौल में लगातार हो रहे परीक्षण भारत की रक्षा तैयारियों को मजबूत करने का संकेत देते हैं। रक्षा सूत्रों के अनुसार, यह परीक्षण मीडियम-रेंज मिसाइल सिस्टम से संबंधित हो सकता है। यह ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल का एक वेरिएंट हो सकता है, जिसकी रेंज DRDO के अनुसार विभिन्न संस्करणों में 450 से 800 किलोमीटर तक है।
मिसाइल परीक्षण की गति
तेज हुए मिसाइल ट्रायल
- 2025 के मध्य से भारत लगातार मिसाइल परीक्षण कर रहा है।
- हाल ही में लंबी दूरी वाले समुद्र से लॉन्च होने वाले सिस्टम के लिए भी NOTAM जारी किए गए हैं।
- कुछ नोटिस में रेंज 3,240 किलोमीटर तक बताई गई है, जो समुद्री स्ट्राइक क्षमता को दर्शाती है।
परीक्षण का महत्व
क्यों अहम है यह परीक्षण?
रक्षा सूत्रों के अनुसार, यदि यह परीक्षण सफल होता है, तो यह भारत की न्यूक्लियर ट्रायड और समुद्री प्रतिरोधक क्षमता को और मजबूत करेगा। 3240 किलोमीटर रेंज वाला समुद्री मिसाइल परीक्षण भारत की लॉन्ग-रेंज स्ट्राइक क्षमता को साबित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, खासकर जब चीन और पाकिस्तान के साथ क्षेत्रीय सुरक्षा चुनौतियां बनी हुई हैं। इस परीक्षण का सफल होना पाकिस्तान और चीन दोनों के लिए एक खतरा बन सकता है।
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