भारत का अंतिम आयातित युद्धपोत आईएनएस तमाल कारवार पहुंचा

भारत का अंतिम आयातित युद्धपोत, आईएनएस तमाल, अब कर्नाटक के कारवार में पहुँच गया है। यह युद्धपोत रूस के कलिनिनग्राद में कमीशन किया गया था और इसकी यात्रा में कई समुद्रों और बंदरगाहों से गुजरना शामिल था। आईएनएस तमाल एक आधुनिक स्टील्थ फ्रिगेट है, जो विभिन्न प्रकार के ऑपरेशनों में सक्षम है। जानें इसके विशेषताओं, यात्रा के पड़ावों और भारतीय नौसेना में इसके महत्व के बारे में।
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भारत का अंतिम आयातित युद्धपोत आईएनएस तमाल कारवार पहुंचा

आईएनएस तमाल का स्वागत

भारत का अंतिम आयातित युद्धपोत, आईएनएस तमाल, 1 जुलाई को रूस के कलिनिनग्राद में नौसेना में शामिल होने के बाद अब कर्नाटक के कारवार स्थित अपने अड्डे पर पहुँचने वाला है। यह एक स्टील्थ युद्धपोत है, जिसका भव्य स्वागत किया जाएगा। आईएनएस तमाल ने सेंट पीटर्सबर्ग से यात्रा शुरू की और अटलांटिक महासागर तथा भूमध्य सागर के रास्ते भारत पहुँचा। 6 अगस्त को यह मोरक्को पहुँचा, जहाँ इसने रॉयल मोरक्को नौसेना के साथ संयुक्त गतिविधियों में भाग लिया, जिसमें मोहम्मद VI के साथ एक अभ्यास भी शामिल था। इसके बाद, चालक दल ने इटली के नेपल्स में भारत के 79वें स्वतंत्रता दिवस का जश्न मनाया।


आईएनएस तमाल की विशेषताएँ

आईएनएस तमाल भारतीय नौसेना का अंतिम आयातित युद्धपोत है। यह एक आधुनिक वॉरशिप है, जो समुद्र, हवा, पानी के भीतर और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध में ऑपरेशन करने में सक्षम है। इसे 1 जुलाई को रूस के कैलिनिनग्राद में यांतर शिपयार्ड में कमीशन किया गया। यह एक मल्टी-रोल स्टील्थ फ्रिगेट है, जिसका कमिशनिंग सीओ कैप्टन श्रीधर टाटा हैं, जो मिसाइल और तोपखाना युद्ध के विशेषज्ञ हैं। 2016 में भारत और रूस के बीच चार तलवार क्लास स्टील्थ फ्रिगेट बनाने का समझौता हुआ था, जिसमें से दो रूस में और दो भारत में बनाए जाने थे। रूस में बने 'तुशील' को पिछले साल शामिल किया गया था और अब तमाल भी नौसेना का हिस्सा बन गया है। भारतीय नौसेना ने स्पष्ट किया है कि भविष्य में कोई और वॉरशिप बाहर से नहीं खरीदी जाएगी, इसलिए 'तमाल' अंतिम आयातित वॉरशिप है। तलवार क्लास के वॉरशिप 2003 से भारतीय नौसेना में शामिल हो रहे हैं, और इस श्रेणी के कुल 6 वॉरशिप हैं।


आईएनएस तमाल का विकास

आईएनएस तमाल तलवार श्रेणी का आठवाँ जहाज है और यह पश्चिमी बेड़े का हिस्सा है, जिसे पश्चिमी नौसेना कमान के अंतर्गत 'तलवार शाखा' के रूप में जाना जाता है। इसका प्रक्षेपण 24 फरवरी, 2022 को हुआ, और इसका पहला समुद्री परीक्षण नवंबर 2024 में होगा। जुलाई 2025 में चालू होने से पहले, इसने सभी आवश्यक परीक्षण सफलतापूर्वक पूरे कर लिए हैं।