भारत और रूस के बीच तेल व्यापार पर ट्रंप के बयान का असर

ट्रंप का टैरिफ ऐलान
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इस समय अपने टैरिफ के कारण वैश्विक चर्चा का विषय बने हुए हैं। हाल ही में उन्होंने 70 से अधिक देशों पर टैरिफ लगाने की घोषणा की थी, लेकिन इसे एक सप्ताह के लिए स्थगित कर दिया गया। भारत पर टैरिफ लगाने के बाद, उन्होंने भारत और रूस के बीच व्यापार को लेकर अपनी नाराजगी व्यक्त की और भारत को रूस से खरीदारी के लिए दंडित करने की बात कही।
भारत का स्पष्ट रुख
हालांकि, कुछ रिपोर्टें यह दावा कर रही हैं कि भारत अब रूस से तेल नहीं खरीदेगा, लेकिन भारत का रुख स्पष्ट है कि वह रूस से तेल खरीदना जारी रखेगा। ट्रंप ने एक सवाल के जवाब में कहा कि उन्हें लगता है कि भारत अब रूस से तेल नहीं खरीदेगा, लेकिन यह सही है या नहीं, इस पर संदेह है।
तेल कंपनियों की स्थिति
ट्रंप के दावे के बाद, तेल कंपनियों ने स्पष्ट किया है कि उनके पास रूस से तेल न खरीदने का कोई आदेश नहीं आया है। कंपनियों ने कहा कि इस विषय पर कोई चर्चा नहीं हो रही है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि भारत अमेरिका के दबाव में आकर रूस से तेल खरीदना बंद नहीं करेगा।
ट्रंप का दोहरा रवैया
डोनाल्ड ट्रंप एक ओर भारत को अपना मित्र बताते हैं, वहीं दूसरी ओर टैरिफ का ऐलान भी करते हैं। उन्होंने कहा कि भारत के साथ व्यापार में कमी आई है क्योंकि उसके टैरिफ बहुत अधिक हैं। इसके अलावा, भारत ने अधिकांश सैन्य उपकरण रूस से खरीदे हैं, जिसके कारण ट्रंप ने भारत पर 25% टैरिफ लगाने का निर्णय लिया।
रूस का तेल उत्पादन
रूस, जो दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा कच्चा तेल उत्पादक है, लगभग 9.5 मिलियन बैरल प्रति दिन का उत्पादन करता है। यह कच्चे तेल का दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक भी है। मार्च 2022 में, रूसी तेल के बाजार से बाहर होने की आशंका के कारण ब्रेंट क्रूड की कीमतें 137 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई थीं।
रूसी तेल पर प्रतिबंध
रूसी तेल पर कभी भी प्रतिबंध नहीं लगाया गया है और न ही अमेरिका या यूरोपीय संघ ने इसे बैन किया है। भारतीय तेल कंपनियां ईरान या वेनेजुएला से कच्चा तेल नहीं खरीद रही हैं, जिन पर अमेरिका ने प्रतिबंध लगाया है। कंपनियां हमेशा अमेरिकी सिफारिश के अनुसार रूसी तेल के लिए 60 डॉलर की मूल्य सीमा का पालन करती रही हैं।