भारत और यूके के बीच व्यापार समझौता: एक नई आर्थिक साझेदारी की शुरुआत

भारत-यूके व्यापार समझौता
भारत ने विकसित अर्थव्यवस्थाओं के साथ अपने संबंधों में एक नया मोड़ लिया है, जिसका उदाहरण हाल ही में यूके के साथ हस्ताक्षरित द्विपक्षीय व्यापार समझौता है। यह समझौता पिछले श्रम सरकार के दौरान तैयार किया गया था, लेकिन इसे नई सरकार द्वारा अंतिम रूप दिया गया, जो दोनों देशों के बीच आर्थिक एकीकरण को मजबूत करने की द्विदलीय प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
भारत-यूके एफटीए का महत्व
यह एफटीए भारत की प्रमुख विकसित अर्थव्यवस्थाओं के साथ भागीदारी में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है और आर्थिक एकीकरण को मजबूत करने की साझा प्रतिबद्धता को दर्शाता है। भारत और यूके, जो क्रमशः चौथी और छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएं हैं, के बीच द्विपक्षीय संबंध वैश्विक आर्थिक महत्व रखते हैं और यह अन्य प्रमुख आर्थिक शक्तियों के साथ समान समझौतों के लिए रास्ता खोल सकता है।
एनएसई के सीईओ ने भारत-यूके व्यापार समझौते की सराहना की
एनएसई के प्रबंध निदेशक और सीईओ, आशीष कुमार चौहान ने इस महत्वपूर्ण घटना की सराहना करते हुए कहा कि उन्हें इस समझौते के हस्ताक्षर का गवाह बनने का सम्मान प्राप्त हुआ। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूके के प्रधानमंत्री की उपस्थिति में इस समझौते पर हस्ताक्षर किए जाने की बात की। चौहान ने सोशल मीडिया पर लिखा, "भारत और यूके के बीच मुक्त व्यापार समझौते के हस्ताक्षर का गवाह बनकर सम्मानित महसूस कर रहा हूं।"
व्यापार के आंकड़े
एनएसई प्रमुख ने मीडिया से बातचीत में बताया कि भारत के पास पहले से ही ऑस्ट्रेलिया के साथ एक एफटीए है, लेकिन यह नया समझौता पहले की कंजर्वेटिव सरकार के दौरान तैयार किया गया था। इस समय जब चीन अपनी आर्थिक ताकत को बढ़ा रहा है, भारत ने सही समय पर सही स्थान पर कदम रखा है। वर्तमान में, दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार लगभग 56 अरब अमेरिकी डॉलर का है, और दोनों पक्ष इसे 2030 तक दोगुना करने की योजना बना रहे हैं।