भारत और यूके के बीच ऐतिहासिक मुक्त व्यापार समझौता

भारत और ब्रिटेन के बीच 24 जुलाई, 2025 को लंदन में एक महत्वपूर्ण मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर होने जा रहे हैं। इस समझौते से श्रम-प्रधान उत्पादों का रियायती निर्यात संभव होगा और ब्रिटेन से आयात सस्ता होगा। यह समझौता दोनों देशों के लिए आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, जिससे द्विपक्षीय व्यापार में सालाना 34 अरब डॉलर की वृद्धि की उम्मीद है। जानें इस समझौते के पीछे की रणनीतियों और इसके संभावित लाभों के बारे में।
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भारत और यूके के बीच ऐतिहासिक मुक्त व्यापार समझौता

भारत और ब्रिटेन के बीच व्यापारिक समझौता

भारत और यूनाइटेड किंगडम गुरुवार, 24 जुलाई, 2025 को लंदन में एक महत्वपूर्ण मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर करने जा रहे हैं। इस समझौते के तहत श्रम-प्रधान उत्पाद जैसे चमड़ा, जूते और कपड़े रियायती दरों पर निर्यात किए जाएंगे, जबकि ब्रिटेन से व्हिस्की और कारों का आयात सस्ता होगा। ब्रिटिश सरकार ने इस ऐतिहासिक समझौते को औपचारिक रूप देने से पहले कहा कि यह भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) द्विपक्षीय व्यापार में सालाना लगभग 34 अरब डॉलर की वृद्धि करेगा.


ब्रिटेन के लिए आर्थिक महत्व

ब्रिटेन के लिए यह समझौता यूरोपीय संघ (ईयू) से बाहर निकलने के बाद सबसे महत्वपूर्ण द्विपक्षीय व्यापार समझौता माना जा रहा है। इस एफटीए पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनके ब्रिटिश समकक्ष केअर स्टार्मर की उपस्थिति में हस्ताक्षर किए जाएंगे। दोनों नेता 'यूके-भारत विजन 2035' का अनावरण भी करेंगे, जिसका उद्देश्य तेजी से बदलते वैश्विक परिदृश्य में दोनों देशों की साझेदारी को नई ऊंचाइयों पर ले जाना है.


भारतीय उपभोक्ताओं के लिए लाभ

ब्रिटेन ने यह भी बताया कि भारतीय उपभोक्ताओं को शीतल पेय, सौंदर्य प्रसाधनों, गाड़ियों और चिकित्सा उपकरणों जैसे उत्कृष्ट ब्रिटिश उत्पादों तक बेहतर पहुंच मिलेगी। एफटीए लागू होने के बाद औसत शुल्क 15 प्रतिशत से घटकर तीन प्रतिशत हो जाएगा। ब्रिटेन ने कहा कि वह पहले से ही भारत से 11 अरब पाउंड का सामान आयात करता है, और इस समझौते से भारतीय उत्पादों पर उदार शुल्क ब्रिटिश उपभोक्ताओं और व्यवसायों के लिए भारतीय सामान खरीदना आसान और सस्ता बना देगा.


स्टार्मर का बयान

स्टार्मर ने कहा, 'भारत के साथ हमारा ऐतिहासिक व्यापार समझौता ब्रिटेन के लिए एक बड़ी जीत है।'