भारत और फ्रांस के बीच रक्षा सहयोग का नया अध्याय
भारत के लिए फ्रांस का सहयोग

फ्रांस ने एक बार फिर भारत के साथ अपने मजबूत संबंधों को प्रदर्शित किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'मेक-इन-इंडिया' पहल के तहत, इंडिया ऑप्टेल लिमिटेड (आईओएल) ने फ्रांसीसी कंपनी सैफरान इलेक्ट्रॉनिक्स एंड डिफेंस के साथ दो अत्याधुनिक युद्धक प्रणालियों के उत्पादन के लिए एक महत्वपूर्ण समझौता किया है। इस सहयोग के माध्यम से, ये प्रणालियाँ अब भारत में ही निर्मित की जा सकेंगी। 36 राफेल विमानों के अनुबंध के बाद, यह एक और महत्वपूर्ण करार है, जो पाकिस्तान और चीन जैसे प्रतिकूल देशों के लिए एक बड़ा झटका साबित होगा।
समझौते की विशेषताएँ
रक्षा मंत्रालय के अनुसार, इस समझौते के तहत दो प्रमुख युद्धक प्रणालियों का विकास किया जाएगा। पहला सिस्टम है सिग्मा 30एन डिजिटल रिंग लेजर जाइरो इनर्टियल नेविगेशन सिस्टम।
प्रणालियों के लाभ
सिग्मा 30एन एक डिजिटल इनर्टियल नेविगेशन और पोजिशनिंग सिस्टम है, जो तोपखाने, मिसाइल प्लेटफॉर्म, रडार और वायु रक्षा प्रणालियों के लिए सटीक नेविगेशन प्रदान करता है।
दूसरा सिस्टम, सीएम-3-एमआर, एक डायरेक्ट फायरिंग साइट है, जिसका उपयोग तोपखाने और ड्रोन-रोधी प्लेटफॉर्म पर किया जाता है। यह सटीक लक्ष्यीकरण को सक्षम बनाता है, जिससे पारंपरिक और असममित युद्ध परिदृश्यों में दक्षता में वृद्धि होती है।
इनर्टियल नेविगेशन सिस्टम का उपयोग तोपों, एयर डिफेंस सिस्टम, मिसाइलों और रडारों में किया जाता है। वहीं, सीएम-3-एमआर फायरिंग साइट को तोपों और ड्रोन-रोधी प्रणालियों के लिए डिजाइन किया गया है।
समझौते का महत्व
इस समझौते पर 22 दिसंबर, 2025 को नई दिल्ली में रक्षा उत्पादन सचिव संजीव कुमार की उपस्थिति में आईओएल के सीएमडी तुषार त्रिपाठी और सैफरान इलेक्ट्रॉनिक्स एंड डिफेंस के रक्षा वैश्विक व्यापार इकाई के प्रमुख एलेक्जेंडर जिग्लर ने हस्ताक्षर किए।
