भारत और नीदरलैंड्स के बीच समुद्री विरासत पर महत्वपूर्ण समझौता
भारत-नीदरलैंड्स के बीच ऐतिहासिक समझौता
भारत-नीदरलैंड्स समझौता
भारत और नीदरलैंड्स ने अपने ऐतिहासिक समुद्री संबंधों को और मजबूत करने के लिए एक महत्वपूर्ण समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं. यह MoU समुद्री विरासत के क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देने के लिए किया गया है. यह समझौता गुजरात के लोथल में बन रहे नेशनल मैरीटाइम हेरिटेज कॉम्प्लेक्स (NMHC) को वैश्विक पहचान दिलाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.
विदेश मंत्रियों की उपस्थिति में समझौता
यह MoU भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर और नीदरलैंड्स के विदेश मंत्री डेविड वैन वील के बीच द्विपक्षीय बैठक के दौरान हस्तांतरित किया गया. यह समझौता दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक और ऐतिहासिक सहयोग को नई ऊंचाई पर ले जाने का संकेत है. खास बात यह है कि इस साझेदारी में भारत का NMHC और एम्स्टर्डम स्थित नेशनल मैरीटाइम म्यूजियम मिलकर कार्य करेंगे.
म्यूजियम की योजना और क्यूरेशन में सहयोग
इस समझौते का मुख्य उद्देश्य समुद्री म्यूजियम से संबंधित अनुभव और विशेषज्ञता का आदान-प्रदान करना है. इसके तहत म्यूजियम की योजना, डिजाइन, क्यूरेशन और संरक्षण में दोनों देश एक-दूसरे की सहायता करेंगे. नीदरलैंड्स को समुद्री इतिहास और म्यूजियम प्रबंधन में गहरी विशेषज्ञता प्राप्त है, जिसका लाभ भारत को NMHC को विश्वस्तरीय बनाने में मिलेगा.
संयुक्त प्रदर्शनियों और अनुसंधान पर ध्यान
MoU के तहत भारत और नीदरलैंड्स मिलकर संयुक्त प्रदर्शनियां आयोजित करेंगे. इसके साथ ही समुद्री इतिहास से जुड़े अनुसंधान परियोजनाओं पर भी सहयोग किया जाएगा. दोनों देश सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रमों को भी बढ़ावा देंगे, जिससे लोग एक-दूसरे की समुद्री विरासत को बेहतर तरीके से समझ सकें.
विजिटर अनुभव को बेहतर बनाना
इस साझेदारी का एक महत्वपूर्ण पहलू म्यूजियम में आने वाले लोगों के अनुभव को समृद्ध करना है. नई और आधुनिक तकनीकों का उपयोग करके म्यूजियम को अधिक इंटरैक्टिव और आकर्षक बनाने पर जोर दिया जाएगा. बच्चों, छात्रों और आम जनता के लिए शैक्षिक कार्यक्रम और सार्वजनिक आउटरीच गतिविधियां भी विकसित की जाएंगी, ताकि इतिहास को केवल देखने की चीज न बनाया जाए, बल्कि समझने और अनुभव करने का अवसर भी मिले.
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लोथल: भारत के समुद्री इतिहास का गौरव
गुजरात का लोथल दुनिया के प्राचीनतम बंदरगाहों में से एक माना जाता है. यहां बनने वाला नेशनल मैरीटाइम हेरिटेज कॉम्प्लेक्स भारत के लगभग 4,500 साल पुराने समुद्री इतिहास को प्रदर्शित करेगा. यह परियोजना भारत को एक वैश्विक हेरिटेज डेस्टिनेशन के रूप में स्थापित करने की क्षमता रखती है और पर्यटन को भी बढ़ावा देगी.
भारत की सॉफ्ट पावर को मिलेगी मजबूती
यह समझौता केवल म्यूजियम तक सीमित नहीं है, बल्कि भारत की सांस्कृतिक पहचान और सॉफ्ट पावर को भी मजबूत करता है. अंतरराष्ट्रीय सहयोग के माध्यम से भारत अपने समृद्ध समुद्री इतिहास को प्रभावी तरीके से प्रस्तुत कर सकेगा.
