भारत और अमेरिका-चीन के बीच बढ़ती सैन्य गतिविधियाँ: क्या है असली खेल?

भारत की सुरक्षा पर बढ़ता खतरा

भारत के पड़ोसी देशों का उपयोग एक खतरनाक प्रयोगशाला के रूप में किया जा रहा है, जिससे भारत को अस्थिर रखने की कोशिश की जा रही है। इस स्थिति में, भारत भी इन चुनौतियों का सामना कर रहा है और उचित प्रतिक्रिया दे रहा है।
हाल ही में, अमेरिका का सी-17 मिलिट्री एयरक्राफ्ट अचानक बांग्लादेश में उतरा, जिसमें 92 सैनिक शामिल थे। ये सैनिक म्यांमार की सीमा के निकट चिटगांव के शाह अमानत अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरे। इस बीच, भारत ने भी अपने 100 सैनिकों को म्यांमार में तैनात किया। अमेरिकी सेना का बांग्लादेश में आना भारत के लिए चिंता का विषय बन गया है।
बांग्लादेश में अमेरिकी गतिविधियों का संदर्भ
शेख हसीना ने पहले ही चेतावनी दी थी कि अमेरिका बांग्लादेश और म्यांमार के कुछ हिस्सों में एक नया देश बनाने की योजना बना रहा है। उनका उद्देश्य इस क्षेत्र में एक सैन्य बेस स्थापित करना है, जिससे वे भारत और चीन पर नजर रख सकें। हसीना ने इस योजना का विरोध किया था, लेकिन उनके तख्तापलट के बाद अमेरिका ने अपने प्लान को आगे बढ़ाने का निर्णय लिया है।
अमेरिकी सी-130जे सुपर हरक्यूलिस विमान हाल ही में चटगाँव में उतरा। यह अभ्यास बांग्लादेश वायु सेना के साथ मिलकर किया जा रहा है, जिसका उद्देश्य रक्षा सहयोग और मानवीय प्रतिक्रिया को मजबूत करना है। इस अभ्यास में बांग्लादेश वायु सेना के 150 और अमेरिकी वायु सेना के 92 कर्मी शामिल हैं।
भारत के लिए चिंताएँ
चटगाँव की भौगोलिक स्थिति भारत और म्यांमार की सीमाओं के निकट होने के कारण इसे रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण बनाती है। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि अमेरिका बांग्लादेश को एक आधार के रूप में इस्तेमाल कर सकता है, जिससे भारत पर प्रभाव बढ़ सकता है।
अमेरिका पर पहले भी आरोप लगे हैं कि उसने बांग्लादेश में राजनीतिक अस्थिरता को बढ़ावा दिया। अगस्त 2024 में हुए विरोध प्रदर्शनों के बाद हसीना को पद से हटाया गया था, जिसमें कई लोगों की जान गई थी। ऐसे में, अमेरिका की बढ़ती उपस्थिति के भू-राजनीतिक निहितार्थ महत्वपूर्ण हैं।
भारत की प्रतिक्रिया
भारत ने भी इस स्थिति का जवाब देते हुए म्यांमार में अपने 100 से अधिक सैनिकों को तैनात किया है। यह स्पष्ट है कि भारत भी अपनी सुरक्षा को लेकर गंभीर है और अमेरिका के प्रभाव को कम करने के लिए सक्रिय कदम उठा रहा है।
भारत और चीन के बीच बढ़ती प्रतिस्पर्धा को देखते हुए, यह स्पष्ट है कि अमेरिका इस क्षेत्र में अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश कर रहा है। लेकिन भारत भी इस खेल में पीछे नहीं है और अपनी रणनीति को मजबूत कर रहा है।