भारत और अमेरिका के बीच रणनीतिक साझेदारी पर विदेश मंत्रालय का बयान

विदेश मंत्रालय ने भारत और अमेरिका के बीच की रणनीतिक साझेदारी की स्थिति पर प्रकाश डाला है। प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने बताया कि यह साझेदारी साझा हितों और लोकतांत्रिक मूल्यों पर आधारित है। उन्होंने रक्षा संबंधों की मजबूती और ट्रंप के हालिया फैसले के प्रभाव पर भी चर्चा की। जानें इस साझेदारी के भविष्य के बारे में और क्या हैं इसके प्रमुख मुद्दे।
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भारत और अमेरिका के बीच रणनीतिक साझेदारी पर विदेश मंत्रालय का बयान

भारत और अमेरिका की साझेदारी

विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को जानकारी दी कि भारत और अमेरिका के बीच एक व्यापक वैश्विक रणनीतिक साझेदारी है, जो कई चुनौतियों का सामना कर चुकी है। मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि यह साझेदारी साझा हितों, लोकतांत्रिक मूल्यों और मजबूत जनसंपर्क पर आधारित है। उन्होंने कहा कि यह साझेदारी विभिन्न बदलावों और चुनौतियों का सामना कर चुकी है, और हमें विश्वास है कि यह आगे भी विकसित होती रहेगी।


रक्षा संबंधों की मजबूती

जायसवाल ने यह भी बताया कि भारत और अमेरिका के बीच रक्षा संबंध मजबूत बने हुए हैं और पिछले कुछ वर्षों में इनकी मजबूती में वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि 21वीं सदी के लिए भारत-अमेरिका समझौते के तहत इस साझेदारी के और विस्तार की संभावना है। हमारी रक्षा आवश्यकताओं की पूर्ति पूरी तरह से राष्ट्रीय सुरक्षा आवश्यकताओं और रणनीतिक आकलन पर निर्भर करती है।


ट्रंप के फैसले का प्रभाव

हालांकि, यह टिप्पणी उस समय आई है जब राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने का निर्णय लिया है, जिसके कारण भारत ने F-35 लड़ाकू विमान खरीदने के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया है। इससे पहले, केंद्र ने लोकसभा में बताया था कि भारत ने F-35 विमानों की खरीद को लेकर अमेरिका के साथ कोई "औपचारिक चर्चा" नहीं की है।