भारत और अमेरिका का संयुक्त उपग्रह NISAR: पृथ्वी की निगरानी में नई क्रांति

भारत और अमेरिका ने मिलकर NISAR उपग्रह का सफल प्रक्षेपण किया है, जो हर 12 दिन में पृथ्वी की नई तस्वीरें प्रदान करेगा। यह उपग्रह जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक आपदाओं और कृषि उत्पादन की निगरानी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। NISAR का यह मिशन अंतरराष्ट्रीय सहयोग का प्रतीक है और भारतीय अंतरिक्ष इंजीनियरिंग की ताकत को दर्शाता है। जानें इस उपग्रह के कार्य, महत्व और वैश्विक स्तर पर इसके संभावित लाभों के बारे में।
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भारत और अमेरिका का संयुक्त उपग्रह NISAR: पृथ्वी की निगरानी में नई क्रांति

भारत और अमेरिका का अंतरिक्ष सहयोग

भारत ने आज ‘इसरो’ और ‘नासा’ के सहयोग से पृथ्वी का अवलोकन करने वाला उपग्रह NISAR लॉन्च किया है। यह उपग्रह हर 12 दिन में पूरी धरती की नई तस्वीरें प्रदान करेगा, जिससे वैश्विक निगरानी में तेजी आएगी। NISAR सैटेलाइट की मदद से अब अंतरिक्ष से धरती का सुपरस्कैन संभव होगा, जो ISRO और NASA के सहयोग से विकसित किया गया है। यह उपग्रह हर हलचल पर नजर रखेगा, जिससे दुश्मनों का बच निकलना कठिन होगा। NISAR धरती का 3D एक्स-रे कर हर 12 दिन में सटीक डेटा प्रदान करेगा।


NISAR उपग्रह का महत्व

निसार उपग्रह मानव कौशल और दो अंतरिक्ष एजेंसियों के बीच एक दशक से अधिक समय तक चले तकनीकी सहयोग का परिणाम है। यह उपग्रह आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से जीएसएलवी-एस16 रॉकेट के माध्यम से प्रक्षिप्त किया गया, जिससे एक नया इतिहास बना। NISAR का वजन 2,393 किलोग्राम है और इसे सूर्य-तुल्यकालिक ध्रुवीय कक्षा में भेजा गया है, जो कि एक नई पहल है।


उपग्रह की कार्यक्षमता

NISAR विश्व का पहला द्वि-आवृत्ति रडार इमेजिंग उपग्रह है, जो 5 वर्षों तक कार्य करेगा। यह नियमित और सटीक अवलोकन के लिए सूर्य-समकालिक कक्षा में स्थापित होगा। इसरो ने मिशन को चार चरणों में विभाजित किया है: प्रक्षेपण, परिनियोजन, कमीशनिंग और वैज्ञानिक संचालन। प्रारंभिक 90 दिनों में उपग्रह का इन-ऑर्बिट चेकआउट किया जाएगा। इसका मुख्य उद्देश्य पृथ्वी की सतह का उच्च-गुणवत्ता वाला अवलोकन करना है।


डेटा संग्रहण और उपयोग

NISAR वैश्विक स्तर पर डेटा एकत्र करेगा, जिसका उपयोग व्यावसायिक और वैज्ञानिक उद्देश्यों के लिए किया जाएगा। यह डेटा विभिन्न अनुप्रयोगों के लिए उपयोगी होगा, जिससे भारतीय अंतरिक्ष इंजीनियरिंग की ताकत का प्रदर्शन होगा। इसरो इस डेटा का प्रसंस्करण करेगा और अधिकांश हिस्सा ‘ओपन-सोर्स’ के रूप में उपलब्ध कराएगा।


अंतरराष्ट्रीय सहयोग का प्रतीक

NISAR में दो प्रकार के सिंथेटिक अपर्चर रडार (SAR) शामिल हैं, जिनमें एल-बैंड और एस-बैंड रडार शामिल हैं। ये रडार बादलों को भेदकर दिन-रात स्पष्ट तस्वीरें लेने में सक्षम हैं। यह मिशन अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष सहयोग का एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, जिसमें नासा और इसरो ने मिलकर तकनीकी विकास किया है।


भारत को होने वाले लाभ

NISAR से कृषि उत्पादन, जल संसाधनों का प्रबंधन, आपदाओं की चेतावनी, शहरी विकास और पर्यावरणीय बदलावों का विश्लेषण संभव होगा। यह उपग्रह न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया को उच्च गुणवत्ता का वैज्ञानिक डेटा प्रदान करेगा।


निष्कर्ष

NISAR का प्रक्षेपण भारत और अमेरिका के बीच विश्वसनीय अंतरिक्ष साझेदारी का प्रतीक है। यह मिशन पृथ्वी विज्ञान में नई संभावनाओं के द्वार खोलेगा और जलवायु परिवर्तन तथा प्राकृतिक आपदाओं से निपटने की वैश्विक क्षमता को बढ़ाएगा। NISAR उपग्रह के आंकड़े नीति निर्माण से लेकर आम जनजीवन तक सकारात्मक प्रभाव डालेंगे।