भारत-ऑस्ट्रेलिया व्यापार समझौते में महत्वपूर्ण प्रगति: 2026 से शून्य शुल्क

भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच आर्थिक सहयोग और व्यापार समझौते के तीन साल पूरे होने पर केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने महत्वपूर्ण घोषणा की है। 1 जनवरी 2026 से ऑस्ट्रेलिया भारतीय निर्यात के लिए सभी टैरिफ लाइनों को शून्य ड्यूटी पर लाएगा। इस समझौते के तहत निर्यात में 8% की वृद्धि हुई है, जिससे विभिन्न क्षेत्रों को लाभ होगा। जानें इस समझौते की विशेषताएँ और इसके प्रभावों के बारे में।
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भारत-ऑस्ट्रेलिया व्यापार समझौते में महत्वपूर्ण प्रगति: 2026 से शून्य शुल्क

भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच व्यापार समझौते की सफलता

नई दिल्ली: भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच आर्थिक सहयोग और व्यापार समझौते के तीन साल पूरे होने पर एक महत्वपूर्ण घोषणा की गई है। केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने 29 दिसंबर को बताया कि 1 जनवरी 2026 से ऑस्ट्रेलिया भारतीय निर्यात के लिए सभी टैरिफ लाइनों को शून्य ड्यूटी पर लाएगा। इसका मतलब है कि भारत से ऑस्ट्रेलिया भेजे जाने वाले सामान पर कोई शुल्क नहीं लगेगा।


यह समझौता 29 दिसंबर 2022 को लागू हुआ था और इसे 'अर्ली हार्वेस्ट' डील कहा जाता है, जिसमें प्रारंभिक चरण में कुछ महत्वपूर्ण व्यापारिक मुद्दों को शामिल किया गया था। अब तीन साल बाद, यह डील अपने अंतिम चरण में पहुंच गई है, जिसमें ऑस्ट्रेलिया ने भारतीय सामान के लिए पूरी तरह से ड्यूटी-फ्री मार्केट एक्सेस देने का निर्णय लिया है। पीयूष गोयल ने सोशल मीडिया पर लिखा,


पीयूष गोयल का पोस्ट.


उन्होंने कहा कि पिछले तीन वर्षों में इस समझौते ने निर्यात में निरंतर वृद्धि की है, बेहतर बाजार पहुंच और सप्लाई चेन को मजबूत बनाने में मदद की है। इससे भारतीय निर्यातक, MSME, किसान और श्रमिकों को विशेष लाभ मिला है।


रिपोर्टों के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2024-25 में भारत का ऑस्ट्रेलिया को निर्यात 8 प्रतिशत बढ़ा है, जिससे दोनों देशों के बीच व्यापार संतुलन में सुधार हुआ है। विभिन्न क्षेत्रों में शानदार प्रदर्शन देखने को मिला है, जैसे मैन्युफैक्चरिंग, केमिकल्स, टेक्सटाइल, प्लास्टिक, फार्मास्यूटिकल्स, पेट्रोलियम उत्पाद और जेम्स एवं ज्वेलरी।


निर्यात में 8% की वृद्धि
वाणिज्य मंत्री ने बताया कि वित्त वर्ष 2024-25 में ऑस्ट्रेलिया को भारत का निर्यात 8 प्रतिशत बढ़ा है। इस वृद्धि में रसायन, कपड़ा, प्लास्टिक, फार्मास्यूटिकल्स, पेट्रोलियम उत्पाद और रत्न व आभूषण जैसे प्रमुख क्षेत्रों का बड़ा योगदान रहा है।


पीयूष गोयल ने कहा, "1 जनवरी, 2026 से भारतीय निर्यात के लिए 100 प्रतिशत ऑस्ट्रेलियाई टैरिफ लाइन्स जीरो-ड्यूटी होंगी। इससे श्रम-प्रधान क्षेत्रों के लिए नए अवसर पैदा होंगे।"


समझौते के तीन साल में क्या-क्या हुआ?
भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच यह अंतरिम व्यापार समझौता 29 दिसंबर, 2022 को लागू हुआ था। आज इसके तीन साल पूरे हो गए हैं। इस समझौते का मुख्य उद्देश्य दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा देना और शुल्क बाधाओं को कम करना था।


मंत्री ने समझौते की सफलता के बारे में बताते हुए कहा, "पिछले तीन वर्षों में इस करार ने निरंतर निर्यात वृद्धि, बाजार तक गहरी पहुंच और सप्लाई चेन को मजबूत बनाने का काम किया है। इसका सीधा लाभ भारतीय निर्यातकों, MSME, किसानों और श्रमिकों को मिला है।"


श्रम-प्रधान क्षेत्रों को अधिक लाभ
विशेषज्ञों के अनुसार, ऑस्ट्रेलिया जैसे विकसित देश में ड्यूटी-फ्री एक्सेस मिलने से भारतीय उत्पाद वहां चीन और वियतनाम जैसे प्रतिस्पर्धियों के मुकाबले अधिक किफायती हो जाएंगे। चूंकि कपड़ा, चमड़ा और आभूषण उद्योग में बड़ी संख्या में रोजगार सृजन होता है, इसलिए यह कदम भारत की रोजगार वृद्धि में भी सहायक होगा।


भारत-ऑस्ट्रेलिया व्यापार समझौते की विशेषताएँ


    समझौता लागू हुआ: 29 दिसंबर, 2022
    पूर्ण शुल्क माफी: 1 जनवरी, 2026 से (100% टैरिफ लाइन्स पर)
    मौजूदा वित्त वर्ष में वृद्धि: निर्यात में 8% का इजाफा
    लाभ लेने वाले सेक्टर: टेक्सटाइल, फार्मा, केमिकल्स, जेम्स एंड ज्वेलरी


नए साल में लागू होने वाली 100 प्रतिशत टैरिफ छूट के साथ, भारत सरकार को उम्मीद है कि ऑस्ट्रेलिया के साथ द्विपक्षीय व्यापार के आंकड़ों में और तेजी देखने को मिलेगी।


कृषि निर्यात में भी व्यापक प्रगति हुई है। फल-सब्जियां, समुद्री उत्पाद, मसाले और खास तौर पर कॉफी में खासा उछाल देखा गया है। श्रम-प्रधान क्षेत्र जैसे टेक्सटाइल, लेदर, जेम्स-ज्वेलरी और प्रोसेस्ड फूड को इस नई व्यवस्था से सबसे ज्यादा फायदा होने की उम्मीद है, क्योंकि टैरिफ खत्म होने से इनके लिए ऑस्ट्रेलियाई बाजार में पहुंच आसान और सस्ती हो जाएगी।


यह कदम ऐसे समय में आया है जब अमेरिका के साथ व्यापारिक तनाव के चलते भारतीय निर्यात पर 50% टैरिफ लग रहा है। ऐसे में ऑस्ट्रेलिया जैसे विकसित बाजार में ड्यूटी-फ्री एक्सेस भारत के लिए निर्यात की दिशा में महत्वपूर्ण कदम होगा। दोनों देश फिलहाल व्यापक आर्थिक सहयोग समझौते (Comprehensive Economic Cooperation Agreement – CECA) पर बातचीत कर रहे हैं, जो और भी गहरा और व्यापक होने की उम्मीद है। पीयूष गोयल ने कहा कि Economic Cooperation and Trade Agreement (ECTA) इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में भारत की आर्थिक मौजूदगी को मजबूत करता है और 'मेक इन इंडिया' तथा 'विकसित भारत@2047' के विजन से जुड़ा है.