भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता में संवेदनशील मुद्दों पर गतिरोध

भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता का हाल
भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता अपने अंतिम चरण में पहुंच चुकी है, लेकिन कृषि, डेयरी, डिजिटल और चिकित्सा सेवाओं जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में दोनों देशों के बीच मतभेद बने हुए हैं। अमेरिका भारतीय बाजार में इन क्षेत्रों में प्रवेश चाहता है, जबकि भारत संतुलित समझौते की मांग कर रहा है ताकि ग्रामीण रोजगार और खाद्य सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे सुरक्षित रह सकें।
भारत की सतर्कता
भारत ने डेयरी और कृषि जैसे क्षेत्रों को खोलने में सावधानी बरती है, क्योंकि इनका ग्रामीण जीवन और सामाजिक ढांचे पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है। अमेरिकी पक्ष ने कुछ मामलों में अधिक दबाव डाला है। एक अधिकारी ने बताया कि बातचीत की प्रक्रिया अपेक्षित रूप से नहीं चल रही है। अमेरिका का रुख ऐसा है जैसे वह कह रहा हो कि या तो हमारी शर्तें मानो या छोड़ दो। भारत ने स्पष्ट किया है कि यदि व्यापार वार्ता में संतुलन नहीं होगा, तो यह 13 फरवरी को हुए संयुक्त बयान का उल्लंघन होगा, जिसमें सितंबर 2025 तक लाभकारी समझौते को अंतिम रूप देने पर सहमति बनी थी।
भारत की चिंताएं
भारत का कहना है कि डेयरी और कृषि जैसे क्षेत्रों को बिना उचित नियंत्रण के विदेशी प्रतिस्पर्धा के लिए खोलना जनहित में नहीं है। खासकर अमेरिकी डेयरी उत्पादों में मांस आधारित पशु आहार का उपयोग भारत के लिए एक बड़ा मुद्दा है। भारत ने स्पष्ट किया है कि जब तक अमेरिका अपने जानवरों को मांसाहारी चारा देना बंद नहीं करता, तब तक अमेरिकी दूध, चीज और बटर जैसे उत्पादों को भारत में अनुमति नहीं दी जाएगी। हालांकि, भारत ने संकेत दिए हैं कि वह कुछ नट्स और फलों पर टैरिफ छूट देने पर विचार कर सकता है।
अमेरिका की मांगें
अमेरिका चाहता है कि भारत अमेरिकी कृषि उत्पादों, डेयरी उत्पादों और झींगा पर शुल्क में भारी कमी करे और गैर-शुल्क बाधाओं को हटाए, जो वर्तमान में अमेरिकी डेयरी निर्यात को रोकती हैं। लेकिन इसके बदले में अमेरिका भारतीय सामान के लिए कोई विशेष रियायत नहीं दे रहा है। भारतीय वार्ताकारों ने अमेरिका की सख्त स्वास्थ्य, दवा और फाइटोसैनिटरी नीतियों को लेकर भी चिंता जताई है, जिसमें कुछ फलों के खराब होने पर पूरी खेप को नष्ट करने जैसे नियम शामिल हैं।
वर्चुअल बातचीत का दौर
4 से 10 जून तक अमेरिकी दल दिल्ली में बातचीत के लिए मौजूद था। इस दल का नेतृत्व ब्रेंडन लिंच ने किया। अब टीम का एक हिस्सा वापस लौट चुका है, जबकि बाकी सदस्य दिल्ली में ठोस वादे मांग रहे हैं कि भारत इन संवेदनशील क्षेत्रों को अमेरिकी बाजार के लिए कितना खोलने को तैयार है। बातचीत अब वर्चुअल मोड में जारी रहेगी। भारत के पास अब भी लगभग एक महीना है ताकि आठ जुलाई से पहले व्यापार समझौते का पहला चरण पूरा किया जा सके। एक अधिकारी ने कहा कि सौदा संभव है, क्योंकि दोनों देशों की मंशा है।
भारत का निर्यात बढ़ने की संभावना
बर्न (स्विट्जरलैंड)। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि विश्व व्यापार गंभीर भू-राजनीतिक चुनौतियों का सामना कर रहा है, लेकिन भारत ऐसे समय में लगातार विजेता के रूप में उभरा है और देश का वस्तुओं एवं सेवाओं का निर्यात निश्चित रूप से 2025-26 में 825 अरब डॉलर को पार कर जाएगा।
अमेरिका-चीन व्यापार वार्ता
लंदन। अमेरिका और चीन के वरिष्ठ वार्ताकारों ने अपनी व्यापार वार्ता को पटरी पर लाने के लिए एक रूपरेखा पर सैद्धांतिक रूप से सहमति बनने की घोषणा की है। यह घोषणा ब्रिटेन की राजधानी लंदन में दो दिन की वार्ता के अंत में की गई। यह वार्ता मंगलवार देर रात समाप्त हुई।