भाजपा विधायकों ने उपराज्यपाल से की एसएमवीडीआईएमई प्रवेश सूची रद्द करने की मांग

भारतीय जनता पार्टी के विधायकों ने जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल से मुलाकात की और एसएमवीडीआईएमई की पहली प्रवेश सूची को रद्द करने की मांग की। उन्होंने आरोप लगाया कि अधिकांश सीटें एक विशेष समुदाय के छात्रों को दी गई हैं। इस मुद्दे पर चर्चा करते हुए, विधायकों ने प्रशासन से अनुरोध किया कि माता वैष्णो देवी में आस्था रखने वाले छात्रों को भी दाखिले में शामिल किया जाए। इस विवाद ने कॉलेज के पहले बैच में प्रवेश को लेकर नई बहस छेड़ दी है।
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भाजपा विधायकों ने उपराज्यपाल से की एसएमवीडीआईएमई प्रवेश सूची रद्द करने की मांग

भाजपा प्रतिनिधिमंडल की उपराज्यपाल से मुलाकात

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायकों का एक समूह शनिवार की शाम जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से मिला। इस बैठक में उन्होंने रियासी जिले के श्री माता वैष्णो देवी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एक्सीलेंस (एसएमवीडीआईएमई) द्वारा जारी की गई पहली प्रवेश सूची को रद्द करने की मांग की।


प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व

इस प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व जम्मू कश्मीर विधानसभा में विपक्ष के नेता सुनील शर्मा कर रहे थे। उन्होंने चयन सूची पर सवाल उठाते हुए आरोप लगाया कि जिन छात्रों को दाखिला मिला है, उनमें से अधिकांश एक विशेष समुदाय से हैं।


छात्रों के लिए विशेष अनुरोध

प्रतिनिधिमंडल ने प्रशासन से अनुरोध किया कि माता वैष्णो देवी में आस्था रखने वाले छात्रों को भी दाखिले के लिए विचार में लिया जाए। राजभवन द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि इस बैठक में विधायक शाम लाल शर्मा, सुरजीत सिंह सलाथिया, देवेंद्र कुमार मन्याल और रणबीर सिंह पठानिया भी शामिल थे।


शर्मा का बयान

बैठक के बाद पत्रकारों से बात करते हुए शर्मा ने कहा कि उन्होंने एसएमवीडीआईएमई में दाखिलों के पहले बैच को लेकर एक महत्वपूर्ण मुद्दा उठाया है, जिसमें अधिकांश सीटें एक विशेष समुदाय के छात्रों को दी गई हैं।


धार्मिक आस्था से जुड़ा मुद्दा

शर्मा ने यह भी कहा कि उनका विरोध इस आधार पर है कि यह संस्थान श्रद्धालुओं की धार्मिक आस्था से संबंधित है और श्राइन बोर्ड को मिलने वाला दान धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यों के लिए है।


एसएमवीडीआईएमई की सीटें

इस वर्ष एसएमवीडीआईएमई को 50 एमबीबीएस सीटों की मंजूरी मिली है। कॉलेज के पहले बैच (2025-26) में एक विशेष समुदाय के 41 छात्रों के प्रवेश को लेकर विवाद उत्पन्न हो गया है। कुछ दक्षिणपंथी समूह इस प्रक्रिया पर सवाल उठा रहे हैं और मांग कर रहे हैं कि इस कॉलेज को अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा दिया जाए।