भाजपा ने राज्य अध्यक्ष चुनाव के लिए अधिकारियों की नियुक्ति की

भारतीय जनता पार्टी ने हाल ही में महाराष्ट्र, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल में राज्य अध्यक्ष चुनाव के लिए नए अधिकारियों की नियुक्ति की है। यह कदम पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के स्थान पर नए अध्यक्ष के चुनाव की तैयारी के तहत उठाया गया है। भाजपा के संविधान के अनुसार, राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव तभी संभव है जब आधे राज्य अध्यक्षों का चुनाव हो चुका हो। जानें इस चुनावी प्रक्रिया और भाजपा की रणनीतियों के बारे में अधिक जानकारी।
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भाजपा ने राज्य अध्यक्ष चुनाव के लिए अधिकारियों की नियुक्ति की

भाजपा की नई नियुक्तियाँ

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने शुक्रवार को महाराष्ट्र, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल में राज्य अध्यक्ष चुनाव के लिए चुनाव अधिकारियों की नियुक्ति की है। यह निर्णय जेपी नड्डा के स्थान पर पार्टी के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव की तैयारी के तहत लिया गया है। नड्डा 2020 की शुरुआत से इस पद पर हैं और उनके कार्यकाल को सुचारू रूप से आगे बढ़ाने के लिए बढ़ा दिया गया है। पार्टी के नियमों के अनुसार, राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव तभी संभव है जब आधे राज्य अध्यक्षों का चुनाव हो चुका हो।


राज्य चुनाव अधिकारियों की नियुक्ति

महाराष्ट्र के लिए किरेन रिजिजू को राज्य चुनाव अधिकारी के रूप में नियुक्त किया गया है, जबकि उत्तराखंड के लिए हर्ष मल्होत्रा और पश्चिम बंगाल के लिए रविशंकर प्रसाद को नियुक्त किया गया है। भारत के 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में से 14 में अब तक पार्टी अध्यक्षों की नियुक्ति हो चुकी है। उत्तर प्रदेश, गुजरात, मध्य प्रदेश, कर्नाटक और तेलंगाना जैसे महत्वपूर्ण राज्यों में अभी भी यह नियुक्तियाँ लंबित हैं। राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव का मुद्दा समय-समय पर चर्चा में रहा है। संभावित तिथियों की जानकारी कई बार सामने आई है, लेकिन अभी तक कोई ठोस परिणाम नहीं निकला है।


भाजपा की चुनावी रणनीति

पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव का विषय लगातार सुर्खियों में बना हुआ है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा इस साल और अगले साल की शुरुआत में होने वाले महत्वपूर्ण राज्य चुनावों से पहले अपने राष्ट्रीय नेता का नाम घोषित करने के लिए पर्याप्त समय ले रही है। पार्टी के संविधान के अनुसार, राष्ट्रीय अध्यक्ष का कार्यकाल आमतौर पर तीन वर्षों का होता है।