भाजपा ने छह राज्यों में अध्यक्षों का चुनाव किया, नए राष्ट्रीय अध्यक्ष की प्रक्रिया शुरू

भारतीय जनता पार्टी ने हाल ही में छह राज्यों में अपने अध्यक्षों का चुनाव किया है, जिससे राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। पार्टी ने संगठन में लंबे समय से काम कर रहे नेताओं को प्राथमिकता दी है, और नए अध्यक्ष की उम्मीदें भी बढ़ रही हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लौटने के बाद नए अध्यक्ष के नामांकन की प्रक्रिया शुरू होगी। जानें भाजपा के नए अध्यक्ष से क्या अपेक्षाएँ हैं और यह चुनाव पार्टी के भविष्य को कैसे प्रभावित कर सकता है।
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भाजपा ने छह राज्यों में अध्यक्षों का चुनाव किया, नए राष्ट्रीय अध्यक्ष की प्रक्रिया शुरू

भाजपा के अध्यक्षों का चुनाव

भारतीय जनता पार्टी ने मंगलवार को छह राज्यों में अपने नए अध्यक्षों का चुनाव किया। इस प्रकार, पिछले वर्ष से पार्टी के आंतरिक चुनावों की प्रक्रिया के तहत अब तक 22 राज्यों में संगठनात्मक प्रमुखों का चुनाव संपन्न हो चुका है। इसके साथ ही, राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया के लिए एक महत्वपूर्ण औपचारिकता भी पूरी हो गई है। भाजपा के संविधान के अनुसार, राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया शुरू करने से पहले इसके 37 संगठनात्मक राज्यों में से कम से कम 19 में अध्यक्षों का चुनाव होना अनिवार्य है। मंगलवार को जिन राज्यों में अध्यक्ष चुने गए, उनमें महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड शामिल हैं, जहां निर्विरोध चुनाव हुए।


राज्यों में अध्यक्षों का चुनाव

भाजपा ने राज्यों के अध्यक्षों के चुनाव में उन नेताओं को प्राथमिकता दी है, जिन्होंने संगठन में लंबे समय तक काम किया है और जो सामाजिक मानदंडों पर खरे उतरते हैं। ये सभी नेता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के करीबी माने जाते हैं। मध्य प्रदेश में अध्यक्ष पद के लिए नामांकन करने वाले विधायक हेमंत खंडेलवाल भी संघ के करीबी हैं और उनका चुना जाना लगभग तय है। इसी तरह, पश्चिम बंगाल में भी भाजपा अध्यक्ष के लिए नामांकन किया गया है। हालांकि, उत्तर प्रदेश, गुजरात और कर्नाटक में अध्यक्ष का चुनाव अभी तक नहीं हो पाया है क्योंकि एक नाम पर सहमति नहीं बन पा रही है। उत्तर प्रदेश में 2027 के विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए भाजपा जातिगत समीकरणों को साधने की कोशिश कर रही है, इसलिए नया अध्यक्ष राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव के बाद ही आ सकता है।


नए अध्यक्ष की संभावनाएँ

यह माना जा रहा है कि भाजपा को नया अध्यक्ष इसी महीने के दूसरे सप्ताह तक मिल सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विदेश दौरे से लौटने के बाद भाजपा के नए अध्यक्ष के लिए एक प्रमुख नेता का नामांकन किया जाएगा। आपको याद दिला दें कि जनवरी 2020 में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने जगत प्रकाश नड्डा का तीन साल का कार्यकाल समाप्त होने के बाद से उन्हें विस्तार मिलता रहा है। पहले उन्हें 2024 के लोकसभा चुनावों के कारण और फिर संगठनात्मक कवायद के चलते विस्तार दिया गया था। इस प्रकार, नड्डा भाजपा के सबसे लंबे समय तक अध्यक्ष रहने वाले नेता बन गए हैं।


भाजपा में अध्यक्ष चयन की प्रक्रिया

अब जब राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव के लिए भाजपा मुख्यालय में हलचल तेज हो गई है, तो कई नाम फिर से चर्चा में आ गए हैं। लेकिन राज्यों में अध्यक्षों के चुनाव से जो संकेत मिल रहे हैं, वे यही दर्शाते हैं कि चर्चा में भले कोई भी नाम हो, अंतिम निर्णय उसी नाम पर होगा जिसे संघ पसंद करेगा। संघ जानता है कि यह केवल नेतृत्व परिवर्तन की प्रक्रिया नहीं है, बल्कि आगामी वर्षों की राजनीतिक दिशा, संगठनात्मक रणनीति और चुनावी गणित को सही तरीके से स्थापित करने की कोशिश भी है।


भाजपा का संक्रमण काल

भाजपा 2024 के लोकसभा चुनावों के बाद एक संक्रमण काल से गुजर रही है। हालांकि पार्टी ने सत्ता में वापसी की है, लेकिन पूर्ण बहुमत की कमी और कुछ राज्यों में हार ने संगठन के भीतर आत्ममंथन की आवश्यकता को जन्म दिया है। वर्तमान अध्यक्ष जेपी नड्डा का कार्यकाल लंबा और चुनौतीपूर्ण रहा है, लेकिन कोविड काल से लेकर कई विधानसभा चुनावों तक, उन्होंने संगठन को संतुलित बनाए रखा। नए अध्यक्ष का चुनाव एक संगठनात्मक कायाकल्प के रूप में भी देखा जा रहा है, जिससे भाजपा 2029 के लोकसभा चुनाव की तैयारियों में और मजबूती से उतर सके।


नए अध्यक्ष से अपेक्षाएँ

भाजपा को नए अध्यक्ष से तीन प्रमुख अपेक्षाएँ हैं:


1. संगठनात्मक जमीनी मजबूती: एक ऐसा नेता जो पार्टी के मूल कैडर से जुड़ा हो, जमीनी राजनीति को समझता हो और बूथ स्तर तक संवाद स्थापित करने में सक्षम हो।


2. राजनीतिक संतुलन: पार्टी में वरिष्ठ और युवा नेताओं, पुराने सहयोगियों और नए चेहरों, विभिन्न सामाजिक वर्गों के बीच संतुलन बनाने की कुशलता।


3. चुनावी कौशल: 2026 और 2027 में कई बड़े राज्यों में विधानसभा चुनाव हैं, इसलिए नए अध्यक्ष की भूमिका निर्णायक होगी।


भाजपा में अध्यक्ष चयन की प्रक्रिया

भाजपा में नए अध्यक्ष के लिए जिन नामों की चर्चा है, उनमें कुछ प्रमुख क्षेत्रीय नेताओं, पूर्व मुख्यमंत्रियों और वरिष्ठ सांसदों के नाम शामिल हैं। पार्टी इस बार क्षेत्रीय संतुलन, जातीय समीकरण और राजनीतिक संदेश को ध्यान में रखकर चयन कर सकती है। यदि पार्टी दक्षिण भारत को महत्व देना चाहे तो कर्नाटक या तेलंगाना से नाम आ सकते हैं। यदि उत्तर भारत में कमजोर हो रहे जनाधार को मज़बूत करना उद्देश्य हो तो किसी पूर्व मुख्यमंत्री का नाम आगे किया जा सकता है।


भाजपा में अध्यक्ष चयन की प्रक्रिया केवल चुनाव तक सीमित नहीं होती। इसमें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की सहमति, प्रधानमंत्री और गृह मंत्री जैसे वरिष्ठ नेताओं की राय का भी बड़ा महत्व होता है। भाजपा के लिए अध्यक्ष का चुनाव केवल चेहरा बदलने का अवसर नहीं है। जो भी नया अध्यक्ष होगा, वह भाजपा को न केवल अगली चुनावी लड़ाई के लिए तैयार करेगा, बल्कि संगठन को वैचारिक स्पष्टता और रणनीतिक गहराई भी देगा।