भाजपा के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव: प्रक्रिया में तेजी और संभावित उम्मीदवार

भाजपा ने बिहार में अपनी जीत के बाद नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया शुरू कर दी है। 29 राज्यों में संगठनात्मक चुनाव संपन्न हो चुके हैं, और अब उत्तर प्रदेश जैसे प्रमुख राज्यों में चुनाव जारी हैं। 14 जनवरी के बाद चुनाव प्रक्रिया में तेजी आने की उम्मीद है। संभावित उत्तराधिकारियों में केशव प्रसाद मौर्य और धर्मेंद्र प्रधान शामिल हैं, जो पार्टी की कई चुनावी जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं। जानें इस चुनाव प्रक्रिया के बारे में और अधिक जानकारी।
 | 
भाजपा के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव: प्रक्रिया में तेजी और संभावित उम्मीदवार

भाजपा में नए अध्यक्ष के चुनाव की तैयारी

बिहार में भाजपा की शानदार जीत के बाद, पार्टी ने अब अपने अगले राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव के लिए निर्वाचक मंडल के गठन की प्रक्रिया शुरू कर दी है। 29 राज्यों में संगठनात्मक चुनाव संपन्न हो चुके हैं, जबकि उत्तर प्रदेश जैसे कुछ प्रमुख राज्यों में चुनाव प्रक्रिया अभी भी चल रही है। इस स्थिति में, नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच गई है, और जनवरी 2026 तक नए पार्टी प्रमुख का चयन होने की संभावना है।


निर्वाचक मंडल का गठन और चुनाव प्रक्रिया

एक वरिष्ठ पार्टी सूत्र ने बताया कि 14 जनवरी के बाद, जब हिंदू पंचांग के अनुसार खरमास का समापन होगा, चुनाव प्रक्रिया में तेजी आएगी। भाजपा के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सभी तैयारियाँ और प्रक्रियाएँ राज्यों में संगठनात्मक चुनावों के साथ-साथ समान रूप से आगे बढ़ रही हैं। नए राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव जनवरी 2026 तक होने की उम्मीद है, और निर्वाचक मंडलों को अंतिम रूप दिया जा रहा है।


संभावित उत्तराधिकारी और चर्चा में नाम

इस बीच, मौजूदा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के उत्तराधिकारी के रूप में तीन प्रमुख नामों पर चर्चा हो रही है। उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, भूपेंद्र यादव और शिवराज सिंह चौहान उन नामों में शामिल हैं। मौर्य और प्रधान, जो आरएसएस और अमित शाह के करीबी माने जाते हैं, इस पद के लिए सबसे प्रमुख दावेदारों में से हैं।


धर्मेंद्र प्रधान की भूमिका

केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने हाल के वर्षों में पार्टी की कई चुनावी जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। एक वरिष्ठ सूत्र ने बताया कि यदि शाह ने रणनीति बनाई, तो प्रधान ने उसे सफलतापूर्वक लागू किया। प्रधान और शिवराज सिंह चौहान दोनों इस पद के लिए मजबूत दावेदार बन सकते हैं।