भाई दूज 2025: भाई-बहन के रिश्ते का अनूठा पर्व
भाई दूज का महत्व
भाई दूज, दीपावली के बाद आने वाला एक विशेष पर्व है, जो भाई-बहन के रिश्ते में स्नेह और सम्मान को और मजबूत बनाता है। यह दिन केवल प्रेम का प्रतीक नहीं है, बल्कि सुरक्षा, आशीर्वाद और जिम्मेदारी की भावना को भी दर्शाता है। जिन बहनों के पास कोई वास्तविक भाई नहीं होता, उनके लिए भी यह पर्व उतना ही महत्वपूर्ण है। परंपरा के अनुसार, ऐसी बहनों के लिए कुछ विशेष तरीके बताए गए हैं, जिनसे वे इसे श्रद्धा और प्रेम के साथ मना सकती हैं।
भाई न होने पर क्या करें?
जो बहनें अपने भाई के बिना हैं, वे अपने घर या आस-पड़ोस के किसी करीबी पुरुष सदस्य को अपना भाई मानकर भाई दूज मनाती हैं। यह व्यक्ति पिता, चाचा, भाई समान मित्र या अन्य रिश्तेदार हो सकते हैं। इस तरह, बहन अपने स्नेह और सेवा भाव को व्यक्त कर सकती है और भाई का संरक्षण और आशीर्वाद भी महसूस कर सकती है। भाई दूज केवल रक्त संबंधों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भावनात्मक और सांस्कृतिक जुड़ाव को भी दर्शाता है।
भोजन की परंपरा
तिलक के बाद, बहनें अपने भाई को भोजन कराकर अपने प्रेम और सम्मान का इजहार करती हैं। यह परंपरा न केवल प्रेम का प्रतीक है, बल्कि भाई की लंबी उम्र, खुशहाली और समृद्धि की कामना करने का भी एक तरीका है। भाई को भोजन और मिठाई देना इस दिन का एक महत्वपूर्ण रिवाज है, जिससे बहन अपने प्रेम और सेवा भाव को प्रकट करती है और भाई को आशीर्वाद और सुरक्षा का अनुभव होता है।
चंद्रमा और देवताओं की पूजा
कुछ क्षेत्रों में, जैसे हरियाणा और महाराष्ट्र, बहनें चंद्रमा को अपना भाई मानकर उसकी पूजा करती हैं। वे तिलक करती हैं, आरती उतारती हैं और उसकी लंबी उम्र, खुशहाली और समृद्धि की कामना करती हैं। इसके अलावा, कुछ परंपराओं में बहनें भगवान यमराज या भगवान कृष्ण को भाई मानकर भी तिलक करती हैं और भोजन अर्पित करती हैं। यह पूजा और भक्ति बहन के प्रेम और सेवा भाव को सुंदर तरीके से व्यक्त करती है और भाई दूज की धार्मिक एवं सांस्कृतिक महत्ता को बनाए रखती है।