भगवान राम की बहन शांता के मंदिर: आस्था और इतिहास का संगम

भगवान राम की बहन शांता के दो प्रमुख मंदिरों के बारे में जानें, जो अयोध्या के राम जन्मभूमि से लेकर हिमाचल प्रदेश के कुल्लू और कर्नाटक के श्रंगेरी तक फैले हुए हैं। इन मंदिरों में शांता और ऋषि श्रंगी की पूजा की जाती है, और मान्यता है कि यहां पूजा करने से भगवान श्रीराम का आशीर्वाद प्राप्त होता है। जानें शांता के जीवन और उनके मंदिरों की विशेषताओं के बारे में।
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भगवान राम की बहन शांता के मंदिर: आस्था और इतिहास का संगम

अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण

अयोध्या : राम जन्मभूमि पर एक भव्य राम मंदिर का निर्माण कई सदियों बाद पुनः किया गया है। 5 अगस्त 2020 को प्रधानमंत्री ने भूमि पूजन किया, जिसके दिन देशभर में आस्था का माहौल था। हर जगह मंदिरों में 'श्री राम' के जयकारे गूंज रहे थे। भारत में अनेक राम मंदिर हैं, लेकिन भगवान श्रीराम की बहन के दो विशेष मंदिर हैं, जहां उनकी पूजा की जाती है। आइए, हम आपको भगवान श्रीराम की बहन के बारे में जानकारी देते हैं।


शांता: भगवान राम की सबसे बड़ी बहन

प्रभु श्रीराम की दो बहनें थीं, जिनमें से एक का नाम शांता और दूसरी का कुकबी था। दक्षिण भारत की रामायण के अनुसार, राम की बहन का नाम शांता है, जबकि कुकबी का उल्लेख कम मिलता है। कहा जाता है कि शांता अपने चारों भाइयों में सबसे बड़ी थीं।


राजा दशरथ का वचन और शांता का विवाह

शांता, अयोध्या के राजा दशरथ और रानी कौशल्या की पुत्री थीं। राजा दशरथ ने रघुकुल का वचन निभाने के लिए राम की मौसी को शांता दे दिया। राजा रोमपद और उनकी पत्नी वर्षिणी, जो नि:संतान थीं, ने एक बार हंसी-हंसी में बच्चे की मांग की थी। इस वचन के कारण शांता को राजा रोमपद को सौंप दिया गया।


ऋंग ऋषि और शांता का वंश

शांता का विवाह ऋंग ऋषि से हुआ था, जो हर्षि विभाण्डक के पुत्र थे। माना जाता है कि इन दोनों का वंश आगे चलकर सेंगर राजपूत बना। ऋंग ऋषि और शांता ने राजा दशरथ और उनकी रानियों की चिंता का समाधान किया।


राजा दशरथ का पुत्रेष्ठि यज्ञ

राजा दशरथ और उनकी रानियों की चिंता थी कि यदि पुत्र नहीं हुआ तो राज्य का उत्तराधिकारी कौन होगा। ऋषि वशिष्ठ ने सलाह दी कि वे अपने दामाद ऋंग ऋषि से पुत्रेष्ठि यज्ञ करवाएं। यज्ञ के बाद राजा को चार पुत्रों की प्राप्ति हुई।


कुल्लू और श्रंगेरी में शांता के मंदिर

शांता का पहला मंदिर हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में स्थित है, जहां उनकी पूजा ऋषि श्रंगी के साथ की जाती है। मान्यता है कि यहां पूजा करने से भगवान श्रीराम का आशीर्वाद प्राप्त होता है। कर्नाटक के श्रंगेरी में भी शांता का दूसरा मंदिर है, जहां श्रंगी ऋषि की पूजा होती है।