भगवान परशुराम की मां के प्रति श्रद्धा और तपस्या की कथा

भगवान परशुराम की कथा में एक गहरा संदेश छिपा है। उन्होंने अपने पिता के आदेश पर अपनी मां का वध किया, जिसके बाद उन्हें गहरा पछतावा हुआ। इस लेख में जानें कि कैसे उन्होंने अपनी मां को पुनर्जीवित किया और किस प्रकार की तपस्या की। यह कहानी न केवल धार्मिक शिक्षाओं से भरी है, बल्कि मानवता के प्रति उनके बलिदान को भी दर्शाती है।
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भगवान परशुराम की मां के प्रति श्रद्धा और तपस्या की कथा

भगवान परशुराम का अद्भुत बलिदान

भगवान परशुराम की मां के प्रति श्रद्धा और तपस्या की कथा


भगवान परशुराम ने हमेशा धर्म की रक्षा के लिए अपने परशु का उपयोग किया। उनके क्रोध से देवताओं में भय व्याप्त रहता था। लेकिन क्या आप जानते हैं कि उन्होंने अपनी मां रेणुका का वध अपने पिता ऋषि जमदग्नि के आदेश पर किया था?


यह कहानी गहरी भावनाओं और धार्मिक शिक्षाओं से भरी हुई है। आइए, इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।


भगवान परशुराम को पराक्रम का प्रतीक माना जाता है। वे अपने माता-पिता के प्रति अत्यंत श्रद्धालु थे। उनकी मां रेणुका एक पवित्र और पतिव्रता स्त्री थीं। एक दिन जब वह नदी से जल भरने गईं, तो उन्होंने एक राजा और रानी को प्रेम में लिप्त देखा, जिससे उनके मन में क्षणिक मोह उत्पन्न हुआ। ऋषि जमदग्नि, जो तपस्वी और त्रिकालज्ञ थे, ने इस मानसिक विचलन को पाप समझा और अपने पुत्रों को आदेश दिया कि वे अपनी मां का सिर काट दें।


जब पहले चार पुत्रों (व्यासु, विश्ववासु, शुतसन और वसु) ने इस आदेश का पालन करने से मना कर दिया, तो ऋषि ने उन्हें श्राप दिया। अंततः परशुराम ने अपने पिता की आज्ञा का पालन करते हुए अपनी मां का वध किया। ऋषि जमदग्नि अपने पुत्र परशुराम से प्रसन्न हुए और उन्हें वर मांगने का अवसर दिया। परशुराम ने कहा, 'मुझे मेरी मां को पुनर्जीवित करने का वर दीजिए और मेरे भाइयों को उनके पुराने स्वरूप में लौटा दीजिए।' ऋषि ने यह वरदान दे दिया और रेणुका माता पुनः जीवित हो गईं।


हालांकि परशुराम ने अपने पिता की आज्ञा का पालन किया, लेकिन मां के वध का अपराध उन्हें गहरा पछतावा हुआ। मान्यता है कि उन्होंने इस पश्चाताप के लिए उत्तर भारत में स्थित 'महादेव मंदिर' या 'पशुपतिनाथ मंदिर' (कुछ मान्यताओं में नेपाल का पशुपतिनाथ) जाकर कठोर तप किया। इसके अलावा, भारत के विभिन्न स्थानों पर 'परशुराम कुण्ड' और 'परशुराम तपस्थल' हैं, जहां वे प्रायश्चित के लिए गए थे, जैसे: परशुराम कुंड (अरुणाचल प्रदेश), जनपाव (मध्यप्रदेश) और रेणुका तीर्थ (हिमाचल प्रदेश)।