ब्रेस्ट कैंसर और नॉन-वेज: क्या है रिसर्च का सच?

हाल ही में आईसीएमआर द्वारा किए गए एक अध्ययन में नॉन-वेज खाने और ब्रेस्ट कैंसर के बीच संबंध पर प्रकाश डाला गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि नॉन-वेज का सेवन अकेले ब्रेस्ट कैंसर का कारण नहीं है, लेकिन यह एक महत्वपूर्ण जोखिम कारक हो सकता है। इस लेख में, हम जानेंगे कि नॉन-वेज के विभिन्न प्रकार, पकाने के तरीके, और जीवनशैली के कारक कैसे कैंसर के जोखिम को प्रभावित कर सकते हैं। साथ ही, ब्रेस्ट कैंसर से बचाव के उपाय भी साझा किए जाएंगे।
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ब्रेस्ट कैंसर और नॉन-वेज: क्या है रिसर्च का सच?

ब्रेस्ट कैंसर का खतरा और नॉन-वेज

ब्रेस्ट कैंसर और नॉन-वेज: क्या है रिसर्च का सच?


ब्रेस्ट कैंसर का खतरा




हाल ही में भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) द्वारा एक अध्ययन प्रकाशित किया गया है, जिसमें यह बताया गया है कि नॉन-वेज खाने से महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर का खतरा बढ़ सकता है। हालांकि, कैंसर के अन्य कारण भी मौजूद हैं, लेकिन नॉन-वेज को एक महत्वपूर्ण जोखिम कारक माना गया है। इस अध्ययन के बाद, कई लोगों के मन में यह सवाल उठ रहा है कि क्या नॉन-वेज खाने वाले सभी लोग कैंसर के खतरे में हैं। इस विषय पर हमने मैक्स हॉस्पिटल के ऑन्कोलॉजी विभाग के डॉ. रोहित कपूर से चर्चा की।


सवाल: क्या नॉन-वेज खाने से महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर का खतरा बढ़ता है?


डॉ. कपूर के अनुसार, केवल नॉन-वेज का सेवन ब्रेस्ट कैंसर का मुख्य कारण नहीं है। यदि कोई महिला अधिक नॉन-वेज खाती है और उसका जीवनशैली खराब है, जैसे कि मोटापा या पारिवारिक इतिहास में कैंसर का मामला हो, तो उसे ब्रेस्ट कैंसर का खतरा हो सकता है।


क्या सभी प्रकार के नॉन-वेज ब्रेस्ट कैंसर का जोखिम समान रूप से बढ़ाते हैं?


अध्ययन के अनुसार, सभी नॉन-वेज खाद्य पदार्थों का कैंसर के खतरे पर समान प्रभाव नहीं होता। विशेष रूप से बेकन, सलामी और प्रोसेस्ड मीट का सेवन ब्रेस्ट कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने प्रोसेस्ड मीट को ग्रुप-1 कार्सिनोजेन के रूप में वर्गीकृत किया है। हालांकि, रेड मीट का अधिक सेवन भी कैंसर के खतरे को बढ़ा सकता है, जबकि चिकन और मछली का सेवन सुरक्षित माना जाता है।


क्या नॉन-वेज पकाने का तरीका कैंसर के खतरे को बढ़ाता है?


जी हां, पकाने का तरीका महत्वपूर्ण है। यदि मीट को अधिक तला जाता है, तो यह जोखिम को बढ़ा सकता है। प्रोसेस्ड मीट में प्रिज़र्वेटिव्स होते हैं, जो कैंसर के खतरे को बढ़ा सकते हैं।


जेनेटिक और लाइफस्टाइल का क्या है रोल?


यदि किसी महिला की मां को ब्रेस्ट कैंसर है, तो उनकी बेटी में भी इसका खतरा बढ़ जाता है। BRCA, PALB2, CHEK2 जैसे जीन कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकते हैं। इसके अलावा, मोटापा और खराब जीवनशैली भी कैंसर के कारण बन सकते हैं।


क्या शाकाहारी महिलाएं पूरी तरह सुरक्षित होती हैं?


नहीं, शाकाहारी होना ब्रेस्ट कैंसर से पूरी सुरक्षा की गारंटी नहीं है। यदि किसी महिला का पारिवारिक इतिहास है या वह मोटापे से ग्रस्त है, तो उसे सतर्क रहना चाहिए।


ब्रेस्ट कैंसर से बचाव कैसे करें


नॉन-वेज का सेवन सीमित मात्रा में करें।


नियमित व्यायाम करें।


मोटापे को नियंत्रित रखें।


यदि परिवार में किसी को ब्रेस्ट कैंसर है, तो अपनी जांच कराएं।