ब्रिक्स शिखर बैठक 2025: भारत की वैश्विक भूमिका और विकासशील देशों की आवाज़

2025 की ब्रिक्स शिखर बैठक ने भारत की वैश्विक भूमिका को उजागर किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बैठक में विकासशील देशों की आवाज़ को मजबूती दी और चीन, रूस तथा ब्राजील के साथ द्विपक्षीय संबंधों को नई दिशा दी। भारत ने ग्लोबल साउथ का नेतृत्व करते हुए संवाद और संतुलन की नीति अपनाई। इस बैठक में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए, जिनसे भारत की अंतरराष्ट्रीय नीति में एक नई पहचान बनी है। ब्रिक्स अब केवल एक आर्थिक मंच नहीं, बल्कि एक रणनीतिक और नैतिक मंच बन चुका है।
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ब्रिक्स शिखर बैठक 2025: भारत की वैश्विक भूमिका और विकासशील देशों की आवाज़

ब्रिक्स शिखर बैठक का महत्व

2025 की ब्रिक्स शिखर बैठक ने यह स्पष्ट किया है कि यह समूह वैश्विक आर्थिक संतुलन के लिए प्रतिबद्ध है और बहुपक्षीय संस्थानों में सुधार के लिए सक्रियता से कार्य कर रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संबोधन और भारत की नीतिगत प्राथमिकताएँ इस बात को दर्शाती हैं कि भारत अंतरराष्ट्रीय राजनीति में एक स्थायी भूमिका निभा रहा है। इस बैठक में भारत ने ग्लोबल साउथ की आवाज़ को मजबूती प्रदान की और चीन, रूस तथा ब्राजील जैसे महत्वपूर्ण सहयोगियों के साथ द्विपक्षीय संबंधों को नई दिशा देने का प्रयास किया।


प्रधानमंत्री मोदी का दृष्टिकोण

प्रधानमंत्री मोदी ने इस बैठक में आत्मविश्वास और संतुलन के साथ भारत के दृष्टिकोण को तीन स्तरों पर प्रस्तुत किया।


1. ग्लोबल साउथ का नेतृत्व: भारत ने विकासशील देशों की समस्याओं को प्राथमिकता देते हुए ‘Global South Voice’ बनने की भूमिका निभाई।


2. संवाद के माध्यम से मतभेदों का समाधान: भारत ने बिना टकराव के, संवाद और संतुलन की नीति अपनाते हुए चीन और रूस के साथ अपने हितों को स्पष्ट किया।


3. सतत विकास और समावेशी वैश्वीकरण: डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर, हरित ऊर्जा, और खाद्य सुरक्षा जैसे मुद्दों पर भारत ने दीर्घकालिक दृष्टिकोण साझा किया।


भारत की नई भूमिका

प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत ने ब्रिक्स को केवल एक आर्थिक मंच नहीं, बल्कि एक रणनीतिक और नैतिक मंच बना दिया है। यह स्पष्ट हो रहा है कि भारत अब केवल एक भागीदार नहीं, बल्कि नीति-निर्माता और संतुलनकर्ता की भूमिका निभा रहा है।


प्रधानमंत्री ने ब्रिक्स देशों को भारत के डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर मॉडल से सीखने की सलाह दी और आत्मनिर्भर भारत की नीति को वैश्विक आत्मनिर्भरता से जोड़ा।


ब्रिक्स की रणनीतिक दिशा

ब्रिक्स शिखर बैठक ने यह सिद्ध किया कि यह मंच अब केवल प्रतीकात्मक नहीं, बल्कि रणनीतिक और व्यावहारिक महत्व का बन चुका है। प्रधानमंत्री मोदी के विचारों ने भारत की वैश्विक नेतृत्व क्षमता को उजागर किया।


ब्रिक्स समूह ने पहलगाम आतंकवादी हमले की कड़े शब्दों में निंदा की और आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता का संदेश दिया।


ब्रिक्स के प्रमुख निर्णय

इस वर्ष की बैठक में सदस्यों ने अमेरिकी डॉलर के प्रभुत्व को संतुलित करने के लिए वैकल्पिक करेंसी सिस्टम विकसित करने पर चर्चा की।


साथ ही, कई नए विकासशील देशों को ‘ब्रिक्स+’ के रूप में जोड़ने की दिशा में सहमति बनी।


भारत का ब्रिक्स में महत्व

ब्रिक्स भारत को पश्चिमी दबावों से स्वतंत्र होकर अपनी विदेश नीति निर्धारित करने की स्वतंत्रता देता है।


भारत ब्रिक्स के माध्यम से वैश्विक दक्षिण का नेतृत्व करता है, जिससे उसे अफ्रीका और लैटिन अमेरिका में प्रभाव बढ़ाने में मदद मिलती है।


भारत-चीन और भारत-रूस संबंध

ब्रिक्स मंच पर भारत और चीन के संबंधों में तनाव के बावजूद, यह एक रणनीतिक ‘dialogue buffer’ के रूप में कार्य कर रहा है।


भारत ने रूस के साथ ऐतिहासिक साझेदारी को बनाए रखा है और ब्रिक्स मंच से संबंधों को संतुलित रूप में प्रस्तुत किया है।


भारत-ब्राजील संबंध

भारत और ब्राजील, दोनों ग्लोबल साउथ के अगुवा हैं। ब्रिक्स बैठक में इन दोनों देशों की सहभागिता कृषि, जलवायु और डिजिटल समावेशन के क्षेत्र में मजबूत हुई।


ब्रिक्स का वैश्विक प्रभाव

ब्रिक्स एक प्रभावशाली समूह के रूप में उभरा है, जो वैश्विक जनसंख्या का लगभग 49.5 प्रतिशत और वैश्विक व्यापार का लगभग 26 प्रतिशत प्रतिनिधित्व करता है।


यह मंच विकासशील और उभरती अर्थव्यवस्थाओं की आवाज़ को वैश्विक स्तर पर बुलंद करता है।


भारत की नई पहचान

प्रधानमंत्री मोदी की द्विपक्षीय मुलाकातों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि भारत अब केवल क्षेत्रीय शक्ति नहीं, बल्कि एक निर्णायक वैश्विक भागीदार बन चुका है।


भारत अब पश्चिम और ग्लोबल साउथ के बीच एक ‘ब्रिज’ की भूमिका निभा रहा है।