ब्रांडेड और जेनेरिक दवाओं के बीच का अंतर: क्या सस्ती दवाएं प्रभावी हैं?

ब्रांडेड बनाम जेनेरिक दवाएं: एक तुलना

जब दवाइयों की बात आती है, तो हमें अक्सर महंगी ब्रांडेड दवाओं और सस्ती जेनेरिक दवाओं के बीच चयन करना होता है। क्या सस्ती दवाएं वास्तव में कम प्रभावी होती हैं? आइए इस पर चर्चा करें।
ब्रांडेड और जेनेरिक दवाओं के बीच मुख्य अंतर उनके नाम और कीमत में है, जबकि उनके सक्रिय तत्व समान होते हैं। आइए विस्तार से समझते हैं।
ब्रांडेड दवाएं बड़ी दवा कंपनियों द्वारा विकसित की जाती हैं, जो नई दवाओं के अनुसंधान में भारी निवेश करती हैं। पेटेंट के कारण, अन्य कंपनियां इन्हें नहीं बना सकतीं, जिससे ये महंगी होती हैं।
जब किसी ब्रांडेड दवा का पेटेंट समाप्त होता है, तो अन्य कंपनियां उसे बिना ब्रांड नाम के कम कीमत पर बना सकती हैं। ये दवाएं भी उतनी ही सुरक्षित और प्रभावी होती हैं।
कई लोगों का मानना है कि जेनेरिक दवाएं कम प्रभावी होती हैं, लेकिन सरकारी एजेंसियां उनकी गुणवत्ता की निगरानी करती हैं।
हालांकि, कुछ मामलों में जेनेरिक और ब्रांडेड दवाओं के बीच अंतर हो सकता है, जैसे कि गोली का आकार या रंग।
जेनेरिक दवाएं सस्ती होती हैं क्योंकि इनमें नया शोध विकसित करने की लागत नहीं होती और इन्हें विज्ञापन की आवश्यकता नहीं होती।
यदि डॉक्टर कोई जेनेरिक दवा लिखते हैं, तो उसे बिना किसी संकोच के लिया जा सकता है। लेकिन, सुनिश्चित करें कि आप अच्छी गुणवत्ता वाली जेनेरिक दवाएं खरीदें।
अंत में, यह कहना गलत है कि केवल ब्रांडेड दवाएं ही प्रभावी होती हैं। सही गुणवत्ता वाली जेनेरिक दवा भी उतनी ही प्रभावी हो सकती है।