ब्रजेश पाठक की पीएम मोदी से मुलाकात: उत्तर प्रदेश की राजनीति में हलचल
ब्रजेश पाठक की पीएम मोदी से मुलाकात
उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने पीएम मोदी से मुलाकात की।
उत्तर प्रदेश की राजनीतिक स्थिति में ठंड के बावजूद गर्माहट बढ़ गई है। उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हालिया मुलाकात ने राजनीतिक चर्चाओं को जन्म दिया है। यह मुलाकात तब हुई जब कुछ दिन पहले लखनऊ में ब्राह्मण विधायकों की एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई थी, जिससे कई कयास लगाए जा रहे थे।
23 दिसंबर को कुशीनगर के बीजेपी विधायक पीएन पाठक के आवास पर ब्राह्मण समाज के नेताओं और विधायकों का सहभोज हुआ, जिसमें लगभग 35-40 ब्राह्मण विधायक शामिल हुए।
सामाजिक और सांस्कृतिक बैठक का महत्व
हालांकि इस बैठक को सामाजिक और सांस्कृतिक बताया गया, लेकिन राजनीतिक विश्लेषक इसे ब्राह्मण समुदाय की एकजुटता से जोड़कर देख रहे हैं। प्रदेश में कुल 52 ब्राह्मण विधायक हैं, जिनमें से 46 बीजेपी से हैं। इससे पहले ठाकुर और अन्य समुदायों के विधायकों की भी ऐसी अनौपचारिक बैठकें हो चुकी हैं। इसी क्रम में 25 दिसंबर को पीएम मोदी लखनऊ आए और राष्ट्रीय प्रेरणा स्थल का उद्घाटन किया।
पीएम मोदी से ब्रजेश पाठक की मुलाकात
इस कार्यक्रम में उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक भी उपस्थित थे। अगले दिन, 26 दिसंबर को पाठक अचानक दिल्ली पहुंचे और पीएम मोदी से मुलाकात की। इस दौरान वाराणसी के महापौर अशोक तिवारी भी उनके साथ थे। ब्रजेश पाठक ने सोशल मीडिया पर इस मुलाकात की तस्वीर साझा करते हुए लिखा कि उन्होंने पीएम मोदी से आत्मीय भेंट की और उनके मार्गदर्शन के लिए आभार व्यक्त किया।
सियासी दृष्टिकोण से मुलाकात का महत्व
आधिकारिक रूप से इस मुलाकात को शिष्टाचार की दृष्टि से देखा गया। पाठक और महापौर ने पीएम को 4 से 11 जनवरी तक वाराणसी में होने वाली नेशनल वॉलीबॉल चैंपियनशिप का निमंत्रण दिया। उपमुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने पीएम से मार्गदर्शन लिया और चैंपियनशिप के आयोजन की जानकारी साझा की। हालांकि, राजनीतिक दृष्टिकोण से इस मुलाकात को महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
ब्राह्मण समुदाय को सशक्त संदेश
ब्रजेश पाठक खुद ब्राह्मण समाज के एक प्रमुख नेता हैं और बीजेपी में उनकी स्थिति लगातार मजबूत हो रही है। हाल ही में बीजेपी को नया प्रदेश अध्यक्ष मिला है और मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चाएं भी चल रही हैं। इस मुलाकात को पार्टी की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि यह ब्राह्मण समुदाय को सशक्त संदेश देने का प्रयास हो सकता है, खासकर 2027 के विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए।
विपक्षी दल इसे बीजेपी की आंतरिक कलह से जोड़कर देख रहे हैं, जबकि बीजेपी नेताओं ने इसे सामान्य मुलाकात बताया है। समय ही बताएगा कि इस मुलाकात के राजनीतिक निहितार्थ क्या निकलते हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश की राजनीति में हलचल तो बढ़ गई है।
