बोतल वाले पानी के स्वास्थ्य पर प्रभाव: जानें क्या हैं खतरे

बोतल वाले पानी का उपयोग और इसके स्वास्थ्य पर प्रभाव
भारत में, अधिकांश लोग बोतल बंद पानी का सेवन करते हैं। जब हम बाहर होते हैं या यात्रा पर होते हैं, तो प्यास लगने पर सबसे पहले हम पानी की बोतल खरीदते हैं। सड़क किनारे और दुकानों पर ये बोतलें आसानी से उपलब्ध होती हैं। शहरी युवा, छात्र और अन्य लोग पीने के लिए बोतल वाले पानी का सहारा लेते हैं, जिसकी कीमत 20 से 100 रुपए के बीच होती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह पानी आपकी सेहत के लिए कितना हानिकारक हो सकता है?
प्लास्टिक की बोतलों के हानिकारक प्रभाव
पानी की बोतलें बनाने में इस्तेमाल होने वाला सामग्री एक प्रकार का पॉलीमर है, जो कार्बन, ऑक्सीजन, हाइड्रोजन और क्लोराइड से बनता है। हॉर्वर्ड स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ की एक रिपोर्ट के अनुसार, अधिकांश बोतलों में पॉली कार्बोनेट प्लास्टिक का उपयोग होता है। ये बोतलें लचीली होती हैं और इनमें फाथालेट्स और बीसाफेनॉल-ए (BPA) जैसे रसायनों का समावेश होता है, जो दिल की बीमारियों और डायबिटीज का कारण बन सकते हैं।
रिसर्च के निष्कर्ष
एक अध्ययन में यह पाया गया कि हर लीटर पानी की बोतल में लगभग 10 प्लास्टिक के कण होते हैं। ये कण इतने छोटे होते हैं कि इन्हें आंखों से नहीं देखा जा सकता। जब आप यह पानी पीते हैं, तो ये कण आपके शरीर में पहुंच जाते हैं, जिससे गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। ऑर्ब मीडिया ने 9 देशों में 250 पानी की बोतलों पर अध्ययन किया और पाया कि हर लीटर में औसतन 10 प्लास्टिक के कण होते हैं, जिनकी चौड़ाई आपके बालों से भी बड़ी होती है।
भारतीय बाजार में स्थिति
इस रिसर्च में भारतीय बाजार में उपलब्ध कई पानी की बोतलों को भी शामिल किया गया। इसलिए, जब आप अपने शहर या कस्बे में पानी की बोतलें खरीदते हैं, तो उनमें प्लास्टिक के कण हो सकते हैं, जो आपकी सेहत को नुकसान पहुंचा सकते हैं। यदि आप बाहर जाते हैं, तो बेहतर होगा कि आप घर से पानी की बोतल लेकर जाएं, और कोशिश करें कि वह कांच या तांबे की हो।
संभावित स्वास्थ्य समस्याएं
फ्रंटियर्स डॉट ओआरजी की एक रिपोर्ट के अनुसार, सड़क पर मिलने वाली बंद बोतलों का पानी गर्म चीजों के संपर्क में आने पर हानिकारक हो सकता है। धूप में रखी प्लास्टिक की बोतलों का पानी स्वास्थ्य के लिए बहुत नुकसानदायक हो सकता है। यह आपके शरीर के हार्मोनल संतुलन को प्रभावित कर सकता है, जिससे इनफर्टिलिटी, जल्दी प्यूबर्टी, हार्मोनल असंतुलन और लिवर को नुकसान हो सकता है।