बॉम्बे हाईकोर्ट ने समीर वानखेड़े के मामले में नया नोटिस जारी किया

बॉम्बे हाईकोर्ट ने समीर वानखेड़े के शराब लाइसेंस मामले में नया नोटिस जारी किया है। वानखेड़े ने रद्द किए गए लाइसेंस से संबंधित एफआईआर को रद्द करने की मांग की थी। अदालत ने उन्हें लाइसेंस की एक प्रति प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। इस मामले में राजनीतिक प्रेरणा का आरोप भी लगाया गया है। जानें इस जटिल मामले की पूरी जानकारी और अदालत के ताजा आदेश के बारे में।
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बॉम्बे हाईकोर्ट ने समीर वानखेड़े के मामले में नया नोटिस जारी किया

बॉम्बे हाईकोर्ट का निर्णय

बॉम्बे हाईकोर्ट ने सोमवार को भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) के अधिकारी समीर वानखेड़े द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए महाराष्ट्र आबकारी विभाग के एक इंस्पेक्टर को नया नोटिस जारी किया। वानखेड़े ने याचिका में रद्द किए गए शराब लाइसेंस से संबंधित उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने की मांग की थी। जस्टिस ए एस गडकरी और आर आर भोंसले की खंडपीठ ने वानखेड़े को निर्देश दिया कि वे मामले में आगे बढ़ने से पहले, अब रद्द हो चुके शराब लाइसेंस की एक प्रति प्रस्तुत करें। यह लाइसेंस मूलतः उनकी मां के नाम पर जारी किया गया था और बाद में कथित तौर पर उन्हें नाबालिग के रूप में शामिल किया गया था। 


शराब लाइसेंस का विवाद

यह मामला नवी मुंबई के एक रेस्टोरेंट के लिए शराब के लाइसेंस से संबंधित है, जो पहले वानखेड़े की मां के नाम पर था। अधिकारियों का आरोप है कि वानखेड़े का नाम उस समय पार्टनर के रूप में जोड़ा गया था जब वह नाबालिग थे। 2022 में लाइसेंस रद्द होने के बाद एक प्राथमिकी दर्ज की गई। वानखेड़े की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आबाद पोंडा और रिज़वान मर्चेंट ने तर्क दिया कि एफआईआर प्रेरित थी और इसमें कोई कानूनी आधार नहीं था। पोंडा ने कहा कि वानखेड़े ने, जब उनकी उम्र 18 साल होने में कुछ महीने बाकी थे, लाइसेंस के संबंध में एक हलफनामे पर हस्ताक्षर किए थे, जो अब एफआईआर का आधार बन गया है।


राजनीतिक प्रेरणा का आरोप

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि यह मामला राजनीति से प्रेरित था, और इसे वानखेड़े की नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) के क्षेत्रीय निदेशक के रूप में उनकी पूर्व भूमिका से जोड़ा गया, जिसमें उन्होंने एनसीपी (अजीत पवार गुट) के नेता नवाब मलिक के दामाद को गिरफ्तार किया था। पोंडा ने कहा कि गिरफ्तारी के बाद मलिक ने वानखेड़े के खिलाफ एक निरंतर अभियान चलाया। उन्होंने अदालत को यह भी याद दिलाया कि वानखेड़े को 2022 में किसी भी प्रकार की दंडात्मक कार्रवाई से अंतरिम संरक्षण दिया गया था और तर्क किया कि प्राथमिकी में लगाई गई धाराएँ इस मामले पर लागू नहीं होतीं।


उम्र का विवाद

पीठ ने प्राथमिकी की जांच के दौरान वानखेड़े की उम्र पर सवाल उठाया। पोंडा ने उत्तर दिया कि वह 17 साल से अधिक थे, लेकिन 18 साल से कुछ ही महीने छोटे थे। उनका कहना था कि लाइसेंस वैध था और उनकी मां के नाम पर था। जब वह नाबालिग थे, तब उनकी मां ने उनका नाम इसमें जोड़ा था।