बॉम्बे हाईकोर्ट ने झुग्गीवासियों के पुनर्वास में महाराष्ट्र सरकार की लापरवाही पर जताई नाराजगी
बॉम्बे हाईकोर्ट का आदेश
बॉम्बे हाईकोर्ट ने बुधवार को संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान (एसजीएनपी) में निवास करने वाले झुग्गीवासियों के पुनर्वास में महाराष्ट्र सरकार की लंबे समय से चल रही निष्क्रियता पर कड़ी टिप्पणी की।
अदालत ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह 90-90 एकड़ के तीन भूखंडों की पहचान करे और यह सुनिश्चित करे कि इनमें से कोई भी एसजीएनपी या आरे कॉलोनी क्षेत्र में न आए।
मुख्य न्यायाधीश चंद्रशेखर और न्यायमूर्ति गौतम ए. अंखड की पीठ ने पिछले दो दशकों में बार-बार दिए गए अदालती आदेशों के बावजूद, हरित क्षेत्र से झुग्गीवासियों को स्थानांतरित करने में राज्य सरकार की विफलता पर अपनी नाराजगी व्यक्त की।
सुनवाई के दौरान की गई चर्चा
सुनवाई के दौरान, महाराष्ट्र के महाधिवक्ता डॉ. बीरेंद्र सराफ ने अदालत को बताया कि एसजीएनपी के पास पुनर्वास के लिए भूमि उपलब्ध है, लेकिन हरित क्षेत्र संरक्षण नियमों के कारण इसका उपयोग नहीं किया जा सका।
पीठ ने राज्य के इस दावे पर सवाल उठाते हुए पूछा कि यदि आपके पास केवल 46 एकड़ भूमि है, तो आप 90 एकड़ की बात क्यों कर रहे हैं?
याचिकाकर्ता का विरोध
कंजर्वेशन एक्शन ट्रस्ट की ओर से वकील ज़मान अली ने आरे क्षेत्र में भूमि के उपयोग के प्रस्ताव का विरोध किया, यह कहते हुए कि सर्वोच्च न्यायालय पहले से ही इस मुद्दे पर सुनवाई कर रहा है और वहां निर्माण की अनुमति नहीं है।
सराफ ने तर्क दिया कि राज्य आरे में निर्माण की अनुमति के लिए सर्वोच्च न्यायालय से अनुमति ले सकता है, लेकिन पीठ ने कहा कि इस तरह के कदम से पुनर्वास प्रक्रिया में और देरी होगी।
