बॉम्बे हाई कोर्ट ने लवासा परियोजना पर शरद पवार के खिलाफ सीबीआई जांच की याचिका पर सुरक्षित रखा फैसला
बॉम्बे हाई कोर्ट का निर्णय
बॉम्बे हाई कोर्ट ने मंगलवार को लवासा हिल स्टेशन परियोजना से संबंधित अवैध अनुमतियों के मामले में शरद पवार और उनके परिवार के सदस्यों के खिलाफ सीबीआई जांच की मांग करने वाली जनहित याचिका पर अपना निर्णय सुरक्षित रखा। अदालत ने यह भी संकेत दिया कि वह याचिका को खारिज करने के पक्ष में है।
मुख्य न्यायाधीश श्री चंद्रशेखर और न्यायमूर्ति गौतम अंखड़ की पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता नानासाहेब जाधव कोई ऐसा कानूनी आधार प्रस्तुत करने में असफल रहे हैं, जिसके तहत कोई अदालत पुलिस को प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दे सके।
याचिका पर आगे की सुनवाई
न्यायाधीशों ने जनहित याचिका को खारिज करने का संकेत दिया, लेकिन अंततः फैसला सुरक्षित रखा ताकि याचिकाकर्ता और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के प्रमुख शरद पवार के वकील अपनी दलीलों के समर्थन में अदालती फैसले प्रस्तुत कर सकें।
हालांकि, पीठ ने यह स्पष्ट नहीं किया कि निर्णय कब सुनाया जाएगा। जाधव की याचिका में सीबीआई से अनुरोध किया गया है कि वह शरद पवार, उनकी बेटी सुप्रिया सुले, जो बारामती से सांसद हैं, और उनके भतीजे अजित पवार के खिलाफ पुणे जिले में लवासा हिल स्टेशन के निर्माण के लिए कथित अवैध अनुमति देने के आरोप में मामला दर्ज करे।
पुलिस की कार्रवाई पर सवाल
2023 में सीबीआई जांच की मांग करते हुए दायर की गई नई जनहित याचिका में जाधव ने कहा कि उन्होंने दिसंबर 2018 में पुणे पुलिस आयुक्त के पास पवार और अन्य के खिलाफ जांच की मांग की थी, लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की।
इस साल मार्च में, शरद पवार ने जनहित याचिका का विरोध करते हुए हस्तक्षेप याचिका दायर की और कहा कि जाधव ने इसी तरह के आरोप बार-बार लगाए हैं।
