बॉम्बे उच्च न्यायालय ने मराठा आरक्षण प्रदर्शनकारियों को हटाने का दिया आदेश

बॉम्बे उच्च न्यायालय ने मराठा आरक्षण के लिए प्रदर्शन कर रहे कार्यकर्ताओं की कड़ी आलोचना की और राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वे सभी प्रदर्शनकारियों को मुंबई की सड़कों से हटा दें। कार्यकर्ता मनोज जरांगे की भूख हड़ताल जारी है, जबकि अदालत ने स्थिति को गंभीर बताते हुए सभी पूर्व शर्तों के उल्लंघन की बात की। जानें इस मामले में और क्या हुआ और मुख्यमंत्री का क्या कहना है।
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बॉम्बे उच्च न्यायालय ने मराठा आरक्षण प्रदर्शनकारियों को हटाने का दिया आदेश

बॉम्बे उच्च न्यायालय का आदेश

गणेश उत्सव की छुट्टियों के दौरान, बॉम्बे उच्च न्यायालय ने सोमवार (1 सितंबर, 2025) को एक विशेष सुनवाई में कार्यकर्ता मनोज जरांगे पाटिल के नेतृत्व में मराठा आरक्षण के लिए प्रदर्शन कर रहे लोगों की कड़ी आलोचना की। अदालत ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि मंगलवार (2 सितंबर, 2025) तक सभी प्रदर्शनकारियों को मुंबई की सड़कों से हटा दिया जाए। अदालत ने यह भी सुनिश्चित करने के लिए कहा कि यदि जरांगे की तबीयत बिगड़ती है, तो उन्हें चिकित्सा सहायता उपलब्ध कराई जाए।


न्यायमूर्ति रवींद्र वी. घुगे और न्यायमूर्ति गौतम ए. अंखड की विशेष पीठ ने कहा कि मुंबई की स्थिति "व्यावहारिक रूप से ठप्प" हो गई है, क्योंकि प्रदर्शनकारी निर्धारित स्थल आज़ाद मैदान से बाहर निकलकर सीएसएमटी, चर्चगेट स्टेशन, मरीन ड्राइव प्रोमेनेड, और फ्लोरा फाउंटेन जैसे प्रमुख स्थानों पर कब्जा कर चुके हैं।


जरांगे की भूख हड़ताल जारी

इस बीच, आजाद मैदान में मराठा आरक्षण की मांग को लेकर मनोज जरांगे की भूख हड़ताल मंगलवार को पांचवें दिन भी जारी रही। उच्च न्यायालय ने उनके समर्थकों से कहा कि वे मंगलवार दोपहर तक सभी सड़कें खाली करें और सामान्य स्थिति बहाल करें। अदालत ने यह भी कहा कि आंदोलन के कारण पूरा शहर ठहर गया है और यह प्रदर्शन शांतिपूर्ण नहीं है।


अदालत ने जरांगे और उनके समर्थकों को स्थिति सुधारने का अवसर दिया और कहा कि सभी पूर्व शर्तों का उल्लंघन किया गया है। जरांगे ने अपने समर्थकों से अदालत के निर्देशों का पालन करने और सड़कों पर इधर-उधर घूमकर लोगों को असुविधा न पहुंचाने की अपील की।


मुख्यमंत्री का बयान

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि प्रशासन मराठा आरक्षण के लिए प्रदर्शन पर उच्च न्यायालय के निर्देशों का पालन करेगा। उन्होंने यह भी बताया कि सरकार इस मुद्दे के समाधान के लिए संभावित कानूनी विकल्पों पर विचार कर रही है।