बैंक क्यों किराए की बिल्डिंग में करते हैं संचालन?

क्या आपने कभी सोचा है कि बैंक, जो लोगों को घर खरीदने के लिए लोन देते हैं, खुद किराए की बिल्डिंग में क्यों काम करते हैं? यह लेख इस परंपरा के पीछे के कारणों को उजागर करता है। जानें कि कैसे यह परंपरा बनी और क्या बैंकों को अपनी प्रॉपर्टी में नहीं होना चाहिए।
 | 

घर खरीदने का सपना और बैंक का लोन

हर किसी का सपना होता है कि वह अपना घर खरीदे। जब पैसे की कमी होती है, तो लोग बैंक से लोन लेकर अपने सपनों को साकार करते हैं। बैंक लोन देने के लिए एक निश्चित ब्याज दर का निर्धारण करते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि जो बैंक लोगों के घर बनाने में मदद करता है, वह खुद किराए की बिल्डिंग में क्यों काम करता है?


किराए की बिल्डिंग में बैंक का संचालन

अधिकतर बैंक के पास अपनी कोई स्थायी बिल्डिंग नहीं होती। वे किराए की जगहों पर ही अपनी सेवाएं प्रदान करते हैं। कुछ बड़े और क्षेत्रीय कार्यालयों को छोड़कर, अधिकांश बैंक किराए की संपत्तियों का उपयोग करते हैं।


बैंक का किराए पर रहना: कारण

आपके मन में यह सवाल उठ सकता है कि क्या बैंक के लिए किराए पर रहना फायदेमंद है? जब बैंक लोन देते हैं, तो वे प्रॉपर्टी के आधार पर ही निर्णय लेते हैं। फिर खुद किराए के मकान में रहने का क्या कारण है? इसका उत्तर सरल है। बैंक की कोई ऐसी नीति नहीं है जो उन्हें किराए पर रहने के लिए मजबूर करे। यह एक पुरानी परंपरा है जो समय के साथ बनी रही है।


परंपरा का महत्व

जब बैंक की स्थापना हुई थी, तब उनके पास अपनी बिल्डिंग नहीं थी, इसलिए उन्हें किराए की जगहों पर काम करना पड़ा। धीरे-धीरे यह परंपरा बन गई। बैंक का मुख्य कार्य कम ब्याज पर पैसे लेना और उच्च ब्याज पर उधार देना है। वे जमाकर्ताओं के पैसे को स्थायी संपत्तियों में निवेश नहीं करते, इसलिए किराए की बिल्डिंग में काम करना उनके लिए अधिक सुविधाजनक है।


क्या बैंक को अपनी प्रॉपर्टी में नहीं होना चाहिए?

कुछ लोग मानते हैं कि बैंकों को अपनी परंपरा को बदलकर अपनी प्रॉपर्टी में काम करना चाहिए। ग्रामीण क्षेत्रों में भी पंचायतों के पास अपनी बिल्डिंग होती है। ऐसे में बैंक क्यों पीछे हैं?