बैंक कर्मियों का प्रदर्शन: पांच दिवसीय बैंकिंग व्यवस्था की मांग
बैंकिंग व्यवस्था के लिए संघर्ष: देशभर में प्रदर्शन
विवेक झा, भोपाल। बैंक कर्मियों ने मंगलवार को सप्ताह में पांच दिवसीय बैंकिंग व्यवस्था लागू करने की पुरानी मांग को लेकर आंदोलन तेज कर दिया। यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस (UFBU) के आह्वान पर विभिन्न राज्य राजधानियों में प्रदर्शन आयोजित किए गए। भोपाल में, सैकड़ों बैंक कर्मचारी और अधिकारी शाम 5:30 बजे यूको बैंक जोनल ऑफिस, अरेरा हिल्स के सामने एकत्रित हुए और जोरदार नारेबाजी करते हुए सभा का आयोजन किया।
बैंकिंग कर्मचारियों की स्थिति पर चिंता
सभा में यूनियन के नेताओं ने बताया कि बैंकिंग क्षेत्र में लगभग 10 लाख कर्मचारी और अधिकारी अत्यधिक कार्यदबाव और मानसिक थकान का सामना कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि पांच दिवसीय बैंकिंग सप्ताह की आवश्यकता है ताकि कार्य-जीवन संतुलन में सुधार हो सके।
मांग का इतिहास: 2015 से अब तक
वक्ताओं ने बताया कि 2015 में हुए 10वें द्विपक्षीय समझौते के तहत हर महीने के दूसरे और चौथे शनिवार को अवकाश निर्धारित किया गया था, जबकि अन्य शनिवारों को पूर्ण कार्यदिवस रखा गया। इसके बाद UFBU ने सभी शनिवारों को अवकाश घोषित करने की मांग की।
सरकार की ओर से कोई प्रगति नहीं
7 दिसंबर 2023 को भारतीय बैंक संघ (IBA) और UFBU के बीच इस मुद्दे पर सहमति बनी थी। IBA ने पांच दिवसीय बैंकिंग लागू करने की सिफारिश केंद्र सरकार को भेजी, लेकिन दो साल बीत जाने के बावजूद सरकार ने अब तक अंतिम स्वीकृति नहीं दी है, जिससे कर्मचारियों में रोष है।
आंदोलन की अगली रणनीति
UFBU ने 24-25 मार्च 2025 को हड़ताल का आह्वान किया था, लेकिन वित्त मंत्रालय और बैंक प्रबंधन के आश्वासन पर इसे स्थगित कर दिया गया। यूनियन नेताओं का आरोप है कि सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया और जानबूझकर निर्णय में देरी की जा रही है।
जनवरी में अखिल भारतीय हड़ताल की चेतावनी
इस देरी के विरोध में UFBU ने दिसंबर-जनवरी में देशभर में अभियान, प्रदर्शन और सोशल मीडिया अभियान चलाने की योजना बनाई है। यदि इसके बाद भी पांच दिवसीय बैंकिंग सप्ताह को मंजूरी नहीं मिली, तो जनवरी 2026 के तीसरे सप्ताह में राष्ट्रव्यापी बैंक हड़ताल की जाएगी।
भोपाल में यूनियन नेताओं का समर्थन
भोपाल में आयोजित सभा में कई बैंक यूनियनों के पदाधिकारियों ने अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि बैंकिंग, RBI, LIC और GIC जैसे अन्य वित्तीय क्षेत्रों में यह व्यवस्था पहले से लागू है, इसलिए बैंक कर्मचारियों के साथ भेदभाव किया जा रहा है।
आंदोलन का अंतिम विकल्प
सभा के अंत में वक्ताओं ने कहा, "हमने बहुत इंतज़ार कर लिया है। अब आंदोलन के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा है।"
