बेंगलुरु में दुकानदारों का UPI भुगतान से इनकार: कारण और प्रभाव

बेंगलुरु में दुकानदारों का UPI भुगतान से इनकार करने का कारण कर विभाग की कार्रवाई है, जिसने 14,000 व्यापारियों की पहचान की है। इस स्थिति ने डिजिटल भुगतान में गिरावट और व्यापारियों के बीच डर का माहौल बना दिया है। जानें कि सरकार इस समस्या का समाधान कैसे कर रही है और व्यापारियों के लिए जागरूकता अभियान कैसे चलाया जा रहा है।
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बेंगलुरु में दुकानदारों का UPI भुगतान से इनकार: कारण और प्रभाव

बेंगलुरु में UPI भुगतान का संकट

बेंगलुरु, जो पहले डिजिटल भुगतान को तेजी से अपनाने के लिए जाना जाता था, अब कई दुकानदारों और सड़क विक्रेताओं द्वारा UPI भुगतान को स्वीकार करने से इनकार कर रहा है और नकद को प्राथमिकता दी जा रही है। इस बदलाव का मुख्य कारण कर विभाग द्वारा की गई कार्रवाई है, जिसने UPI लेनदेन के आधार पर लगभग 14,000 व्यापारियों की पहचान की है, जो बिना पंजीकरण के काम कर रहे थे। इनमें से कई को वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए कर बकाया के नोटिस जारी किए गए हैं.


दुकानदारों की चिंताएँ

बेंगलुरु के कई दुकानदार और ठेले वाले अब UPI के माध्यम से भुगतान स्वीकार करने में हिचकिचा रहे हैं, क्योंकि उन्हें कर विभाग से नोटिस मिलने का डर है। हाल ही में, वाणिज्यिक कर विभाग ने UPI लेनदेन के आधार पर लगभग 14,000 ऐसे व्यापारियों की पहचान की है, जो बिना पंजीकरण के डिजिटल भुगतान स्वीकार कर रहे थे.


UPI भुगतान की घटती स्वीकृति

एक समय था जब शहर के लगभग सभी छोटे और बड़े व्यापारी UPI स्वीकार करते थे, चाहे वह सब्जी का ठेला हो, चाट का ठेला हो या छोटे दुकानें। लेकिन अब 'केवल नकद, कोई UPI नहीं' जैसे बोर्ड हर जगह देखे जा रहे हैं.


कर विभाग की कार्रवाई

यह डर तब बढ़ा जब कर विभाग ने डिजिटल लेनदेन के आंकड़ों का विश्लेषण किया और पाया कि कई व्यापारी उस सीमा से अधिक लेनदेन कर रहे थे, जिसके बाद GST पंजीकरण अनिवार्य हो जाता है। नियमों के अनुसार, यदि वार्षिक कारोबार 40 लाख रुपये (सामानों के लिए) या 20 लाख रुपये (सेवाओं के लिए) से अधिक है, तो व्यवसाय का GST में पंजीकरण कराना आवश्यक है.


व्यापारियों की स्थिति

मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, कई व्यापारियों को वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए बकाया करों के नोटिस भेजे गए हैं। कुछ को लाखों रुपये का भुगतान करने के लिए कहा गया है। इसने एक डर का माहौल बना दिया है, और कई विक्रेताओं ने UPI के माध्यम से भुगतान स्वीकार करना बंद कर दिया है, क्योंकि उन्हें चिंता है कि उनके डिजिटल रिकॉर्ड उन्हें और अधिक कर जांच के लिए उजागर कर सकते हैं.


विशेषज्ञों की राय

कर और कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि केवल UPI लेनदेन को आय का पूर्ण प्रमाण मानना सही नहीं है। टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट में, एक पूर्व कर अधिकारी ने कहा कि डिजिटल भुगतान को आय के अंतिम आधार के रूप में नहीं माना जाना चाहिए.


सरकार की रणनीति

सरकार की इस कार्रवाई के पीछे की रणनीति राजस्व बढ़ाना है, कर्नाटक सरकार को 2025-26 तक 1.2 लाख करोड़ रुपये का कर संग्रह लक्ष्य प्राप्त करना है। इसमें से 52,000 करोड़ रुपये से अधिक सामाजिक कल्याण योजनाओं पर खर्च किए जाने हैं, और विधायक बुनियादी ढांचे के लिए अतिरिक्त बजट की मांग कर रहे हैं। ऐसे में, सरकार कर आधार बढ़ाने के प्रयास कर रही है.


जागरूकता अभियान

व्यापारियों के बीच बढ़ती नाराजगी और डिजिटल भुगतान में गिरावट को देखते हुए, राज्य सरकार ने 'जानें GST' नामक एक जागरूकता अभियान शुरू किया है। इसका उद्देश्य व्यापारियों को GST नियमों के बारे में सही जानकारी देना और उनके डर को दूर करना है। इस अभियान का पहला कार्यशाला हाल ही में बेंगलुरु के कोरमंगला में आयोजित की गई थी.