बेंगलुरु में 83 वर्षीय पूर्व सैन्य अधिकारी के साथ ऑनलाइन धोखाधड़ी का मामला

बेंगलुरु में एक 83 वर्षीय सेवानिवृत्त कर्नल को ऑनलाइन धोखाधड़ी का शिकार बनाया गया। ठगों ने खुद को मुंबई पुलिस का अधिकारी बताकर उन्हें गिरफ्तारी की धमकी दी और उनके बैंक खातों से 56.05 लाख रुपये निकाल लिए। पुलिस ने इस मामले में प्राथमिकी दर्ज कर ली है और जांच जारी है। जानें इस मामले की पूरी कहानी और ठगों की चालाकियों के बारे में।
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बेंगलुरु में 83 वर्षीय पूर्व सैन्य अधिकारी के साथ ऑनलाइन धोखाधड़ी का मामला

धोखाधड़ी का शिकार हुआ सेवानिवृत्त कर्नल

बेंगलुरु में एक 83 वर्षीय सेवानिवृत्त कर्नल ऑनलाइन धोखाधड़ी का शिकार हो गए। ठगों ने खुद को मुंबई पुलिस का अधिकारी बताकर उन्हें गिरफ्तारी की धमकी दी और उनके बैंक खातों से 56.05 लाख रुपये निकाल लिए।


प्राथमिकी की जानकारी

अधिकारियों के अनुसार, केंद्रीय सीईएन अपराध पुलिस थाने में 18 नवंबर को प्राथमिकी दर्ज की गई। शिकायत के अनुसार, 27 अक्टूबर को एक व्यक्ति ने कॉल करके खुद को मुंबई पुलिस निरीक्षक संजय पिशे बताया और कहा कि शिकायतकर्ता के नाम पर एक सिम कार्ड का गलत इस्तेमाल हो रहा है।


वीडियो कॉल के माध्यम से धोखाधड़ी

जब बुजुर्ग ने मुंबई आकर जांच में शामिल होने में असमर्थता जताई, तो उन्हें वीडियो कॉल के जरिए एक वरिष्ठ महिला अधिकारी कविता पोमाने और बाद में एक अन्य फर्जी उच्च अधिकारी विश्वास से जोड़ा गया।


व्यक्तिगत जानकारी की मांग

कॉल करने वालों ने ऑनलाइन जांच के बहाने उनके व्यक्तिगत, पारिवारिक और बैंक विवरण प्राप्त किए और किसी को बताने पर गिरफ्तारी की धमकी दी।


धोखाधड़ी की प्रक्रिया

प्राथमिकी में उल्लेख किया गया है कि ठगों ने हर तीन घंटे में उनके लाइव लोकेशन और 'आरबीआई सत्यापन' के लिए बैंक विवरण व्हाट्सएप पर साझा करने का निर्देश दिया। पीड़ित ने उनकी बात मानकर चार बैंक खातों के विवरण साझा किए और छह तथा पांच लाख रुपये उनके निर्दिष्ट खाते में भेजे।


निवेश के लिए दबाव

बाद में, उन्हें म्यूचुअल फंड और अन्य निवेश बेचने के लिए कहा गया, जिससे उन्होंने 35.05 लाख और 10 लाख रुपये और उसी खाते में भेजे। जब उन्होंने पैसे लौटाने की मांग की, तो ठगों ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक राशि की जांच कर रहा है और तीन दिन में वापस कर देगा।


पुलिस की कार्रवाई

पुलिस ने बताया कि पीड़ित की शिकायत के आधार पर सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम और भारतीय दंड संहिता की धारा 318(4) के तहत मामला दर्ज किया गया है और जांच जारी है।