बुद्ध सम्यक दर्शन संग्रहालय और स्मारक स्तूप का उद्घाटन कल

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का उद्घाटन समारोह
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कल बुद्ध सम्यक दर्शन संग्रहालय और स्मारक स्तूप का उद्घाटन करेंगे। इस ऐतिहासिक अवसर पर चीन, जापान, श्रीलंका, थाईलैंड, नेपाल, तिब्बत, म्यांमार, मलेशिया, भूटान, वियतनाम, कंबोडिया, मंगोलिया, लाओस, बांग्लादेश और इंडोनेशिया के 15 देशों के बौद्ध भिक्षु वैशाली में एकत्रित होंगे।
स्मारक का महत्व
यह ऐतिहासिक स्मारक विश्वभर के बौद्ध अनुयायियों के लिए श्रद्धा और आकर्षण का केंद्र बनेगा। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने 'X' हैंडल पर लिखा, "बुद्ध सम्यक दर्शन संग्रहालय और स्मारक स्तूप, वैशाली का उद्घाटन 29 जुलाई 2025 को होने जा रहा है। यह बिहार के लोगों के लिए गर्व की बात है।"
स्मारक की विशेषताएँ
यह स्तूप बिहार के सांस्कृतिक धरोहर और वैश्विक बौद्ध विरासत का एक भव्य प्रतीक है। यह वैशाली को वैश्विक बौद्ध मानचित्र पर प्रमुखता से स्थापित करेगा और पर्यटन, संस्कृति और रोजगार को नई दिशा देगा।
यह स्तूप पुष्करिणी तालाब के निकट 72 एकड़ भूमि पर 550.48 करोड़ रुपये की लागत से बनाया गया है। इस स्मारक का मुख्य आकर्षण भगवान बुद्ध का अवशेष कक्ष है, जिसे स्मारक की पहली मंजिल पर रखा गया है। यह अवशेष कक्ष 1958 से 1962 के बीच की खुदाई में खोजा गया था।
निर्माण की तकनीक
भारत के इतिहास में पहली बार बिहार के वैशाली जिले में एक स्तूप पूरी तरह से पत्थरों से बनाया गया है। इसमें सीमेंट, ईंट या कंक्रीट का उपयोग नहीं किया गया है। इसकी ऊँचाई 33.10 मीटर, आंतरिक व्यास 37.80 मीटर और बाहरी व्यास 49.80 मीटर है, जो विश्व प्रसिद्ध 'सांची स्तूप' की ऊँचाई से लगभग दोगुनी है।
इस संग्रहालय-स्मारक में 42,373 बलुआ पत्थरों का उपयोग किया गया है, जो राजस्थान के बंशी पहाड़पुर से लाए गए हैं। पत्थरों को जोड़ने के लिए कोई सीमेंट या अन्य चिपकने वाला पदार्थ नहीं लगाया गया है। इसे आधुनिक भूकंप प्रतिरोधी तकनीक का उपयोग करके बनाया गया है।
सुविधाएँ और आकर्षण
इस परिसर में ध्यान केंद्र, आगंतुक केंद्र, पुस्तकालय, संग्रहालय ब्लॉक, ओपन एयर थियेटर, कैफेटेरिया, 500 किलोवाट सौर ऊर्जा संयंत्र, पार्किंग और अन्य सुविधाएँ शामिल हैं।
ओडिशा के कलाकारों द्वारा निर्मित भगवान बुद्ध की मूर्ति इस स्थान की विशेष पहचान बनेगी।