बुद्ध पूर्णिमा: गौतम बुद्ध का जीवन और परिवार की कहानी

बुद्ध पूर्णिमा का महत्व
5 मई को पूरे देश में बुद्ध पूर्णिमा का पर्व धूमधाम से मनाया गया। यह दिन हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है, क्योंकि इसे भगवान गौतम बुद्ध की जयंती के रूप में मनाया जाता है। इस दिन लोग गौतम बुद्ध की शिक्षाओं का अनुसरण करने का संकल्प लेते हैं। इसके साथ ही, घर की अशुद्धियों को दूर करने के लिए सुबह जल्दी स्नान किया जाता है और पूजा-पाठ का आयोजन किया जाता है। इस अवसर पर हम गौतम बुद्ध की पत्नी और उनके बेटे के बारे में जानकारी साझा करेंगे।
गौतम बुद्ध का विवाह
गौतम बुद्ध का विवाह यशोधरा से हुआ था
गौतम बुद्ध का विवाह राजकुमारी यशोधरा से हुआ, जब वह केवल 16 वर्ष की थीं। कहा जाता है कि बुद्ध शादी नहीं करना चाहते थे, लेकिन उनके पिता की इच्छा के आगे उनकी नहीं चली। इस प्रकार उनका विवाह यशोधरा से कर दिया गया। कुछ वर्षों तक वे एक साथ रहे और यशोधरा ने एक बेटे को जन्म दिया। लेकिन जिस रात यशोधरा ने बेटे को जन्म दिया, उसी रात बुद्ध ने राजमहल छोड़ दिया।
बुद्ध का गृहस्थ जीवन से त्याग
गौतम बुद्ध ने अपने घर और पारिवारिक जीवन को छोड़ दिया और कभी वापस नहीं लौटे। इस कारण यशोधरा ने भी साधारण जीवन जीना शुरू कर दिया। उन्होंने अपने सभी आभूषण त्याग दिए और साधारण पीले वस्त्र पहनने लगीं। वह दिन में केवल एक बार भोजन करती थीं।
बुद्ध का ध्यान और त्याग
बुद्ध का ध्यान अध्यात्म की ओर था
शादी से पहले बुद्ध का ध्यान पूरी तरह से अध्यात्म पर था। विवाह के बाद, जब उनके बेटे का जन्म हुआ, तो उन्होंने घर छोड़ने का निर्णय लिया। उन्हें अपने परिवार की याद आती थी, लेकिन उन्होंने मोह-माया से दूर रहने का संकल्प लिया। इस दौरान उन्होंने ज्ञान की प्राप्ति की।
यशोधरा का जीवन
यशोधरा ने भिक्षुणी का जीवन बिताया
कुछ वर्षों बाद, जब बुद्ध अपने परिवार से मिलने आए, तो यशोधरा ने उनसे मिलने से इंकार कर दिया। उन्होंने बुद्ध की आलोचना की, लेकिन बुद्ध ने शांति से सब कुछ सुना। अंततः यशोधरा ने बुद्ध का स्वागत किया। यशोधरा ने भिक्षुणी का जीवन बिताया और उनका बेटा भी बड़ा होकर भिक्षु बन गया। जब बुद्ध ने ज्ञान प्राप्त किया, तो वे गौतम बुद्ध के नाम से जाने जाने लगे, जबकि यशोधरा गौतमी के नाम से पहचानी गईं। कुछ समय बाद गौतमी का निधन हो गया और दो साल बाद बुद्ध ने भी इस दुनिया को अलविदा कहा।