बीजेपी नेता किरीट सोमैया का विवादास्पद बयान: मुस्लिम प्रजनन दर हिंदुओं से दोगुनी

बीजेपी नेता किरीट सोमैया ने मुस्लिम प्रजनन दर को लेकर एक विवादास्पद बयान दिया है, जिसमें उन्होंने दावा किया कि मुस्लिम दंपती हिंदुओं की तुलना में दोगुनी तेजी से बच्चे पैदा कर रहे हैं। उन्होंने NFHS रिपोर्ट का हवाला देते हुए महाराष्ट्र में मुस्लिम जनसंख्या की वृद्धि दर की तुलना की है। इस बयान ने राजनीतिक और सामाजिक हलकों में बहस को जन्म दिया है। जानें इस मुद्दे पर विशेषज्ञों की राय और सोमैया के दावों का सच क्या है।
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बीजेपी नेता किरीट सोमैया का विवादास्पद बयान: मुस्लिम प्रजनन दर हिंदुओं से दोगुनी

बीजेपी नेता का बड़ा दावा

बीजेपी नेता किरीट सोमैया का विवादास्पद बयान: मुस्लिम प्रजनन दर हिंदुओं से दोगुनी

बीजेपी नेता किरीट सोमैया


बीजेपी के पूर्व सांसद किरीट सोमैया ने जनसंख्या वृद्धि पर एक विवादास्पद बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि मुस्लिम दंपती हिंदुओं की तुलना में दोगुनी तेजी से बच्चे पैदा कर रहे हैं। सोमैया ने National Family Health Survey (NFHS) की रिपोर्ट का हवाला देते हुए यह दावा किया कि महाराष्ट्र में मुस्लिम जनसंख्या की वृद्धि दर हिंदू जनसंख्या की तुलना में दोगुनी है। उनके इस बयान ने राजनीतिक और सामाजिक हलकों में बहस को जन्म दिया है.


सोमैया ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट साझा किया, जिसमें उन्होंने मुस्लिम जनसंख्या के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि महाराष्ट्र के शहरी क्षेत्रों में औसत प्रजनन दर लगभग 1.4 है। मुंबई में हिंदू परिवारों की प्रजनन दर 1.3 से कम है, जिसका अर्थ है कि 10 हिंदू दंपती मिलकर औसतन 13 बच्चों को जन्म देते हैं। वहीं, मुस्लिम परिवारों की प्रजनन दर लगभग 3 है.



सोमैया ने आगे कहा कि 10 मुस्लिम दंपती मिलकर 26 या उससे अधिक बच्चों को जन्म देते हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि मुस्लिम समुदाय की प्रजनन दर हिंदू समुदाय की तुलना में दोगुनी है।


उन्होंने यह भी कहा कि मुंबई में जनसंख्या परिवर्तन केवल प्राकृतिक प्रजनन वृद्धि के कारण नहीं हो रहा है, बल्कि इसमें बांग्लादेशी प्रवासन की भी भूमिका है। उनके अनुसार, यह प्रवासन प्राकृतिक जनसंख्या वृद्धि के अतिरिक्त है.


हालांकि, जनसंख्या विशेषज्ञों और समाजशास्त्रियों का कहना है कि प्रजनन दर पर शिक्षा, शहरीकरण, आर्थिक स्थिति, स्वास्थ्य सेवाएं और महिला सशक्तिकरण जैसे कई सामाजिक-आर्थिक कारकों का प्रभाव पड़ता है। उनका मानना है कि किसी भी समुदाय या शहर के बारे में निष्कर्ष निकालने के लिए आधिकारिक जनगणना और सत्यापित अध्ययनों का आधार लेना आवश्यक है.