बीजेपी का कांग्रेस पर आरोप: सरदार पटेल पर हमलों को 86 साल तक छिपाया गया
सरदार पटेल की 150वीं जयंती पर बीजेपी के गंभीर आरोप
बीजेपी ने कांग्रेस से पूछे सवाल
आज देश सरदार वल्लभ भाई पटेल की 150वीं जयंती मना रहा है, जिसके उपलक्ष्य में गुजरात के केवडिया में एकता दिवस परेड का आयोजन किया गया। इस अवसर पर बीजेपी ने कांग्रेस पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं। पार्टी ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि 1939 में मुस्लिम लीग द्वारा सरदार पटेल पर किए गए हमलों को कांग्रेस ने 86 वर्षों तक छिपाए रखा। इसके अलावा, यह मामला स्वतंत्रता के बाद पाठ्यपुस्तकों से भी हटा दिया गया था।
बीजेपी ने कहा कि वडोदरा और भावनगर में मुस्लिम लीग ने सरदार पटेल पर हमले किए, जिससे कई देशभक्त शहीद हुए। इतिहासकार रिजवान कादरी ने इस छिपी हुई सच्चाई को उजागर किया है कि कैसे राजनीतिक लाभ के लिए यह इतिहास दबाया गया, जबकि पटेल ने भारत की एकता के लिए संघर्ष किया। इसी कारण बीजेपी ने कांग्रेस से सवाल उठाए हैं।
इतिहासकार रिजवान कादरी का खुलासा
बीजेपी का आरोप है कि कांग्रेस ने सरदार पटेल पर हुए हमलों को 86 वर्षों तक छुपाए रखा। यह जानकारी इतिहासकार रिजवान कादरी ने दी। उनके अनुसार, 1939 में मुस्लिम लीग ने सरदार पटेल पर दो हमले करवाए थे, जिन्हें कांग्रेस ने चुपचाप दबा दिया।
1939 भारत के संघर्ष में एक महत्वपूर्ण मोड़ था, जब सरदार पटेल प्रजामंडल आंदोलन के माध्यम से रियासतों को एकजुट कर रहे थे, उसी समय मुस्लिम लीग ने धर्म के नाम पर हिंसा भड़काना शुरू कर दिया। उस समय कांग्रेस ने टकराव के बजाय चुप्पी साधे रखी।
Thread 🧵: 𝐓𝐡𝐞 𝐅𝐨𝐫𝐠𝐨𝐭𝐭𝐞𝐧 𝐀𝐭𝐭𝐚𝐜𝐤𝐬 𝐨𝐧 𝐒𝐚𝐫𝐝𝐚𝐫 𝐕𝐚𝐥𝐥𝐚𝐛𝐡𝐛𝐡𝐚𝐢 𝐏𝐚𝐭𝐞𝐥 — 𝐁𝐮𝐫𝐢𝐞𝐝 𝐛𝐲 𝐂𝐨𝐧𝐠𝐫𝐞𝐬𝐬 𝐟𝐨𝐫 𝟖𝟔 𝐘𝐞𝐚𝐫𝐬
Why did Congress keep this hidden for 86 years — until historian Rizwan Kadri exposed it?
Because the truth is pic.twitter.com/e8caquV7Pl
— BJP (@BJP4India) October 31, 2025
जब सरदार पटेल का जुलूस मांडवी से गुजर रहा था, मुस्लिम लीग समर्थित लोगों ने “सरदार वापस जाओ!” के नारे लगाए और उनकी कार पर पथराव किया। प्रजामंडल कार्यालय में आग लगा दी गई। यह पटेल के बढ़ते प्रभाव को दबाने का प्रयास था। इन हमलों पर कांग्रेस ने हमेशा मौन साधे रखा।
हमलों की योजना मुस्लिम लीग ने बनाई थी
सरदार पटेल ने खुद पर हुए हमले के बावजूद लोगों से शांति और संयम बनाए रखने का आग्रह किया, लेकिन वडोदरा शासन ने एक फर्जी जांच का आयोजन किया और मामले को बंद कर दिया। यह तो बस शुरुआत थी। मुस्लिम लीग के लोग भावनगर में पहले से ही कुछ और घातक योजना बना रहे थे।
भावनगर में भी हुआ था पटेल पर हमला
गुजरात के भावनगर में 14 मई 1939 को, जब पटेल पांचवीं प्रजा परिषद का नेतृत्व कर रहे थे, मुस्लिम लीग से जुड़ी एक भीड़ ने उनके शांतिपूर्ण जुलूस पर हमला किया। यह एक पूर्वनियोजित षड्यंत्र था। इस दौरान बच्चू वीर जी और जादू जी शहीद हो गए थे, और कई लोग घायल हुए थे। इसके बाद भी पटेल ने उस शाम को जनसभा संबोधित की। उन्होंने हिंसा के बावजूद एकता का मार्ग नहीं छोड़ा।
इन हमलों के लिए विशेष अदालत ने 57 में से 34 अभियुक्तों को दोषी ठहराया था, और 2 को मौत की सजा सुनाई थी। लेकिन स्वतंत्रता के बाद, कांग्रेसी इतिहासकारों ने इस मामले को पाठ्यपुस्तकों और अभिलेखागार से मिटा दिया। किसी ने भी मुस्लिम लीग की भूमिका या कांग्रेस की चुप्पी का उल्लेख करने की हिम्मत नहीं की। इसके रिकॉर्ड मौजूद हैं, जिनमें 13 प्रमुख अभियुक्तों की सूची शामिल है।
सरदार पटेल ने विश्वासघात से भी लड़ी लड़ाई
कांग्रेस की यही वास्तविकता है, जहां सरदार पटेल रहे जबकि राजनीतिक अवसरवादी विभाजनकारी ताकतों को खुश कर रहे थे। पटेल पर हमला सिर्फ़ एक व्यक्ति पर नहीं, बल्कि भारत की एकता पर हमला था।
86 वर्षों तक, राजनीतिक सुविधा के लिए इस सच्चाई को दबा दिया गया। इतिहासकार रिजवान कादरी को इसे सबके सामने लाने में समय लगा। यह याद दिलाता है कि स्वतंत्रता संग्राम के दौरान भी, सरदार पटेल ने न केवल अंग्रेजों से, बल्कि आंतरिक विश्वासघात से भी लड़ाई लड़ी थी। वह व्यक्ति जिसने पत्थरों, चाकुओं और षड्यंत्रों का सामना किया, लेकिन भारत की एकता से कभी समझौता नहीं किया।
