बिहार विधानसभा में हंगामे के बीच तेजस्वी यादव का भाषण
बिहार विधानसभा का मानसून सत्र आज हंगामे में तब्दील हो गया जब विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने भाषण दिया। इस दौरान राजद विधायक भाई वीरेंद्र ने कहा कि सदन किसी के बाप का नहीं है, जिससे माहौल गरमा गया। सत्ता और विपक्ष के बीच तीखी बहस हुई, जिसके चलते विधानसभा अध्यक्ष ने कार्यवाही स्थगित कर दी। जानें इस घटनाक्रम के सभी महत्वपूर्ण पहलुओं के बारे में।
Jul 23, 2025, 13:42 IST
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बिहार विधानसभा का मानसून सत्र
बिहार विधानसभा का मानसून सत्र जारी है। आज इस सत्र का तीसरा दिन था, और कार्यवाही भारी हंगामे में तब्दील हो गई। स्पेशल इलेक्टोरल रिवीजन के मुद्दे पर विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव के भाषण के दौरान सत्ता और विपक्ष के बीच तीखी बहस हुई। इस दौरान राजद विधायक भाई वीरेंद्र के एक बयान ने स्थिति को और भी गरमा दिया। दरअसल, तेजस्वी यादव सदन में बोलते हुए सरकार पर निशाना साध रहे थे, तभी सत्ता पक्ष के कुछ सदस्यों ने शोर मचाना शुरू कर दिया। इस पर भाई वीरेंद्र ने कहा कि सदन किसी के बाप का नहीं है और विपक्ष को अपनी बात रखने का पूरा अधिकार है।
भाई वीरेंद्र के इस बयान के बाद सदन का माहौल पूरी तरह से गर्म हो गया। इसके बाद पक्ष और विपक्ष के सदस्य आपस में भिड़ गए। विधानसभा अध्यक्ष नंद किशोर यादव ने कार्यवाही को स्थगित करने का निर्णय लिया। मुख्यमंत्री ने कहा, 'इस सत्र में केवल तीन दिन बचे हैं, जो भी कहना है, वो चुनाव के समय कहिएगा।' यादव राज्य में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण पर बयान दे रहे थे, जिस पर सदन के नेता ने आपत्ति जताई। इसके चलते विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच तीखी बहस हुई, जिसके बाद विधानसभा अध्यक्ष ने कार्यवाही अपराह्न दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी।
वहीं, मीडिया से बातचीत करते हुए आरजेडी विधायक भाई वीरेंद्र ने कहा कि उन्होंने जो कहा है, उस पर वे कायम हैं। उन्होंने कहा कि सदन किसी की जागीर नहीं है। उन्होंने यह भी पूछा कि इसमें गलत क्या था? यह संसदीय भाषा है। इसके बाद मंत्री गाली-गलौज करने लगे। उन्होंने स्पष्ट किया कि वे किस बात की माफी मांगें? क्या विजय सिन्हा उनके नेता हैं? क्या वे उनके मालिक हैं? वे उनके सामने पैदा हुए हैं।
उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि मुख्यमंत्री ने उन्हें समझाने की कोशिश की कि केवल 2 दिन बचे हैं, इसलिए जनहित के मुद्दों को शांतिपूर्वक उठाने दिया जाए। लेकिन भाई वीरेंद्र ने कहा कि क्या सदन किसी के बाप का है? इस तरह वे सदन में गुंडा राज स्थापित करना चाहते हैं। उन्होंने याद दिलाया कि यह 90 का दशक नहीं है। हमने उनसे कहा कि अपनी भाषा के लिए माफी मांगें। अगर वे माफी नहीं मांगते हैं, तो ऐसे लोगों को सदन में बैठने का कोई हक नहीं है।