बिहार विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची पर सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट ने निर्धारित की सुनवाई की तारीख
उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) से जुड़े कानूनी मुद्दों पर सुनवाई के लिए 4 नवंबर की तारीख तय की। इस दौरान, चुनाव आयोग ने अदालत को बताया कि एसआईआर प्रक्रिया के तहत तैयार की गई अंतिम मतदाता सूची में किसी भी मतदाता का नाम हटाने के खिलाफ कोई अपील नहीं की गई है।
चुनाव आयोग की जिम्मेदारी
पीठ ने यह भी कहा कि चुनाव आयोग को एक जिम्मेदार संवैधानिक प्राधिकारी के रूप में बिहार मतदाता सूची में मुद्रण संबंधी त्रुटियों और अन्य गलतियों की पहचान और सुधार करने की अपेक्षा की जाती है। शीर्ष अदालत ने आशा व्यक्त की कि आगामी चुनावों से पहले आयोग मतदाता सूची की सटीकता और अखंडता सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक सुधारात्मक कदम उठाएगा। पहले की सुनवाई में, अदालत ने आयोग को एसआईआर प्रक्रिया के बाद अंतिम मतदाता सूची से बाहर किए गए 3.66 लाख मतदाताओं की विस्तृत जानकारी प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था।
नए मतदाताओं की संख्या
चुनाव आयोग ने पीठ को बताया कि नए जोड़े गए अधिकांश नाम पहली बार मतदाता बने लोगों के हैं और जिनके नाम हटाए गए थे, उनमें से किसी ने भी अब तक कोई शिकायत या अपील नहीं की है। आयोग द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, 30 सितंबर को प्रकाशित अंतिम मतदाता सूची से यह स्पष्ट हुआ है कि एसआईआर प्रक्रिया के बाद बिहार में मतदाताओं की कुल संख्या लगभग 47 लाख घटकर 7.89 करोड़ से 7.42 करोड़ हो गई। हालांकि, अंतिम आंकड़े 1 अगस्त को जारी मसौदा सूची से 17.87 लाख मतदाताओं की वृद्धि भी दर्शाते हैं, जिसमें मृत्यु, प्रवास या दोहराव के कारण 65 लाख नाम हटाए गए थे।