बिहार विधानसभा चुनाव: राणा रंजीत सिंह का अनोखा नामांकन जुलूस

बिहार विधानसभा चुनावों में राणा रंजीत सिंह ने अपने अनोखे नामांकन जुलूस से सबका ध्यान खींचा। मुस्लिम टोपी और लाल टीका लगाए, नंगे पांव चलते हुए उन्होंने हिंदू-मुस्लिम एकता का संदेश दिया। उनके जुलूस में दोनों समुदाय के लोग शामिल थे, जो ‘आई लव मोहम्मद’ और ‘जय श्री राम’ के नारे लगा रहे थे। जानिए इस अनोखे नामांकन के पीछे की कहानी और राणा रंजीत सिंह की पहचान।
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बिहार विधानसभा चुनाव: राणा रंजीत सिंह का अनोखा नामांकन जुलूस

बिहार में चुनावी उत्साह

बिहार में विधानसभा चुनावों का उत्साह अपने चरम पर है, और नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। बुधवार को मोतिहारी की ढाका सीट से राणा रंजीत सिंह ने एक ऐसा नामांकन भरा कि सभी लोग हैरान रह गए। उनके जुलूस की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहे हैं। सिर पर मुस्लिम टोपी, माथे पर चमचमाता लाल टीका, और नंगे पांव चलते हुए नामांकन भरने पहुंचे। उनके साथ बड़ी संख्या में लोग थे, जो ‘आई लव मोहम्मद’ और ‘जय श्री राम’ के नारे लगा रहे थे।


राणा रंजीत सिंह की पहचान

लेकिन सवाल यह है कि ये अनोखे अंदाज वाले उम्मीदवार कौन हैं? राणा रंजीत सिंह, बिहार सरकार के पूर्व मंत्री और बीजेपी विधायक राणा रणधीर सिंह के भाई हैं। वे पूर्व सांसद और मंत्री सीताराम सिंह के बेटे हैं। मुस्लिम बहुल ढाका सीट से वे AIMIM के टिकट पर चुनावी मैदान में हैं। यहां मुस्लिम वोटरों की संख्या अधिक है, लेकिन इस बार राजपूत उम्मीदवार ने हिंदू-मुस्लिम एकता का एक अनोखा संदेश दिया है।


हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक

राणा रंजीत सिंह ने ढाका के सीकरहाना अनुमंडल कार्यालय में नंगे पांव पहुंचकर नामांकन भरा। उनके जुलूस में हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदाय के लोग एक साथ चल रहे थे। यह दृश्य हिंदू-मुस्लिम सौहार्द का एक बेहतरीन उदाहरण प्रस्तुत कर रहा था। जुलूस में नारे लग रहे थे- ‘आई लव मोहम्मद’ और ‘जय श्री राम’। राणा रंजीत ने कहा कि हम दोनों समुदायों को समान मानते हैं।


नामांकन का अनोखा तरीका

राणा रंजीत ने अपने इस अनोखे स्टाइल पर स्पष्टीकरण दिया। उन्होंने कहा कि नामांकन लोकतंत्र के मंदिर में पहला कदम है। मंदिर में हम जूते-चप्पल उतारकर जाते हैं, इसलिए लोकतंत्र के मंदिर में भी नंगे पांव पहुंचे। टोपी और टीका लगाने का उद्देश्य हिंदू-मुस्लिम एकता को प्रदर्शित करना है।