बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए की शानदार वापसी, चिराग पासवान बने मुख्य आकर्षण
बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए की जीत
बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए की धूमधाम से वापसी हो रही है। प्रारंभिक परिणामों के अनुसार, एनडीए एक बार फिर से सत्ता में लौटता हुआ दिखाई दे रहा है। पीएम मोदी और सीएम नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए ने एक ऐसी लहर पैदा की है कि महागठबंधन के राजद, कांग्रेस और वीआईपी का अस्तित्व संकट में आ गया है। जन स्वराज की स्थिति स्पष्ट हो गई है। 2025 के विधानसभा चुनाव में चिराग पासवान ने एक सितारे की तरह उभरकर सबको चौंका दिया है। उनके प्रदर्शन ने चुनावी समीकरण को पूरी तरह से बदल दिया है। चिराग ने अपने स्ट्राइक रेट से सभी को प्रभावित किया है और इस बार वे सच में विजेता बनकर उभरे हैं।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की निर्णायक जीत
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की यह चुनावी जीत उनके करियर की सबसे महत्वपूर्ण जीत मानी जा रही है। पीएम मोदी की लोकप्रियता ने जेडीयू-बीजेपी के गठबंधन को एक ऐतिहासिक जनादेश दिलाने में मदद की है। 2020 के चुनाव में, संयुक्त लोक जनशक्ति पार्टी ने 130 से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ा, लेकिन केवल एक सीट - मटिहानी - पर जीत हासिल की। उस विधायक ने बाद में जदयू में शामिल हो गया। उल्लेखनीय है कि लोजपा के उम्मीदवार नौ सीटों पर दूसरे स्थान पर रहे।
चिराग पासवान का प्रभावशाली प्रदर्शन
इस बार के चुनाव में चिराग पासवान का प्रदर्शन सबसे बड़ा आश्चर्य रहा। उनकी पार्टी ने 27 में से 19 सीटों पर बढ़त बनाकर सभी को चौंका दिया है। जब उनसे पूछा गया कि क्या वे नई सरकार में नीतीश कुमार के उप-मुख्यमंत्री पद के लिए दावा करेंगे, तो चिराग ने स्पष्ट किया कि ऐसा नहीं होगा। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी से ही योग्य उम्मीदवार को जिम्मेदारी दी जाएगी।
चिराग पासवान का वोट बैंक
चिराग पासवान की पार्टी को अन्य पिछड़ा वर्ग यानी ईबीसी से सबसे अधिक वोट मिले हैं। यह स्पष्ट है कि पार्टी ने अपने वोट बैंक को एकजुट रखा है। सुगोली, गोविंदगंज, कस्बा, बलरामपुर, बोछहा, नाथनगर जैसी सीटों पर एलजेपीआर के प्रत्याशी ने 10,000 से अधिक वोटों की लीड बनाई है। जानकार मानते हैं कि पिछले विधानसभा चुनाव में चिराग ने खुद को एक बागी के रूप में प्रस्तुत किया था, लेकिन इस बार उन्होंने खुद को एक युवा बिहारी नेता के रूप में स्थापित किया है। उनका 'बिहारी फर्स्ट' नारा सही साबित हुआ है।
