बिहार विधानसभा चुनाव: बाजपट्टी सीट पर जेडीयू और आरजेडी के बीच कड़ा मुकाबला

बिहार विधानसभा चुनाव में बाजपट्टी सीट पर जेडीयू और आरजेडी के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिल रहा है। पिछले चुनाव में आरजेडी ने जीत हासिल की थी, जबकि जेडीयू ने अपनी हैट्रिक से चूक गई थी। इस बार चुनावी रणनीतियों और उम्मीदवारों की घोषणा पर सभी की नजरें टिकी हैं। जानें इस सीट का राजनीतिक इतिहास और आगामी चुनावों में संभावनाएँ।
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बिहार विधानसभा चुनाव: बाजपट्टी सीट पर जेडीयू और आरजेडी के बीच कड़ा मुकाबला

बाजपट्टी सीट पर चुनावी हलचल

बिहार विधानसभा चुनाव: बाजपट्टी सीट पर जेडीयू और आरजेडी के बीच कड़ा मुकाबला

बाजपट्टी सीट पर जेडीयू और आरजेडी में टक्कर

बिहार में विधानसभा चुनावों का प्रचार पहले से ही जोरों पर है। रैलियों और यात्राओं का सिलसिला जारी है। वर्तमान में पहले चरण के मतदान के लिए नामांकन भरे जा रहे हैं। बिहार में चुनाव दो चरणों में होंगे, जिसमें सीतामढ़ी जिले में 11 नवंबर को मतदान होगा। एनडीए और महागठबंधन के बीच मुकाबला काफी कड़ा है। प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी और असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम की उपस्थिति ने चुनावी माहौल को और भी रोचक बना दिया है। बाजपट्टी विधानसभा सीट पर भी कड़ा संघर्ष देखने को मिल सकता है, जहां राष्ट्रीय जनता दल का कब्जा है.

चुनाव से पहले सीटों के बंटवारे को लेकर बिहार में सियासी हलचल तेज रही। महागठबंधन और सत्तारूढ़ एनडीए के बीच सीटों को लेकर अंत तक तनातनी बनी रही। आज, जनता दल यूनाइटेड ने अपने उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की है, लेकिन बाजपट्टी सीट पर अभी तक उम्मीदवार का ऐलान नहीं किया गया है क्योंकि यहां दूसरे चरण में मतदान होना है.

पिछले चुनाव का परिणाम

2020 के विधानसभा चुनाव में बाजपट्टी सीट पर 20 उम्मीदवारों ने अपनी किस्मत आजमाई थी। महागठबंधन की ओर से राष्ट्रीय जनता दल ने मुकेश कुमार यादव को मैदान में उतारा, जबकि एनडीए की ओर से डॉक्टर रंजू गीता ने चुनौती दी। दोनों के बीच मुकाबला बेहद कड़ा रहा, और महज 2,704 मतों के अंतर से मुकेश यादव ने जीत हासिल की थी.

उस चुनाव में कुल 2,98,302 मतदाता थे, जिनमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 1,58,452 और महिला मतदाताओं की संख्या 1,39,850 थी। इनमें से लगभग 60 प्रतिशत यानी 1,76,336 मतदाताओं ने मतदान किया था.

जेडीयू की हैट्रिक से चूक

बाजपट्टी विधानसभा सीट का इतिहास ज्यादा पुराना नहीं है। परिसीमन के बाद यह सीट 2008 में अस्तित्व में आई। 2010 में यहां पहली बार विधानसभा चुनाव हुए, जिसमें जेडीयू की रंजू गीता ने जीत हासिल की। रंजू ने 2015 में भी जीत का सिलसिला जारी रखा। उस समय जेडीयू ने राष्ट्रीय जनता दल के साथ चुनाव लड़ा था.

2020 में जेडीयू एनडीए के साथ आ गई थी और रंजू गीता ने अपनी जीत की हैट्रिक लगाने का प्रयास किया, लेकिन इस बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा। आरजेडी के मुकेश कुमार यादव ने कड़े संघर्ष के बाद जीत हासिल की.

सीतामढ़ी की राजनीतिक अहमियत

बाजपट्टी विधानसभा सीट सीतामढ़ी संसदीय क्षेत्र में आती है, जो हिंदू पौराणिक मान्यताओं के अनुसार एक पवित्र स्थल है। यहां सीताजी का जन्म हुआ था। इस सीट का निर्माण बाजपट्टी और बोखरा सामुदायिक विकास खंड के साथ-साथ नानपुर सीडी ब्लॉक के विभिन्न गांवों को मिलाकर किया गया है.

राजनीतिक दृष्टि से सीतामढ़ी जिला एनडीए और भारतीय जनता पार्टी के लिए महत्वपूर्ण है। 2020 के चुनाव में एनडीए ने 8 में से 6 सीटों पर जीत हासिल की थी, जबकि बाजपट्टी समेत केवल 2 सीटें महागठबंधन के खाते में आई थीं। अब देखना होगा कि क्या जेडीयू इस बार आरजेडी के खिलाफ अपनी पिछली हार का बदला ले पाती है या नहीं.