बिहार विधानसभा चुनाव: एनडीए और महागठबंधन के बीच कांटे की टक्कर

बिहार विधानसभा चुनाव 2023 के पहले चरण में 6 नवंबर को 121 सीटों पर मतदान होगा। एनडीए और महागठबंधन के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा की उम्मीद है। इस बार प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी भी चुनावी मैदान में है, जो कुछ सीटों पर समीकरण को प्रभावित कर सकती है। राजनीतिक विश्लेषक नवल किशोर चौधरी का मानना है कि जन सुराज पार्टी कुछ उम्मीदवारों की जीत या हार तय कर सकती है। तेजस्वी यादव की दो सीटों से चुनाव लड़ने की संभावना भी चर्चा का विषय है। चुनावी माहौल गर्म हो रहा है, और परिणाम 14 नवंबर को घोषित किए जाएंगे।
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बिहार विधानसभा चुनाव: एनडीए और महागठबंधन के बीच कांटे की टक्कर

बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारी

बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण में 6 नवंबर को 121 सीटों पर मतदान होगा। इन सीटों पर सत्ताधारी एनडीए और विपक्षी महागठबंधन के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा की उम्मीद है। पिछले विधानसभा चुनाव 2020 में भी दोनों के बीच मुकाबला बेहद नजदीक था, जिसमें महागठबंधन ने 61 और एनडीए ने 59 सीटें जीती थीं। एक सीट, बेगूसराय की मटिहानी, लोक जनशक्ति पार्टी के पास गई थी, लेकिन बाद में उसके विधायक राजकुमार सिंह जेडीयू में शामिल हो गए।


जन सुराज पार्टी का उदय

इस बार चुनावी परिदृश्य में प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी (JSP) का नाम भी शामिल हो गया है। यह पार्टी पिछले साल गांधी जयंती के दिन स्थापित हुई थी और बेरोज़गारी, भ्रष्टाचार और पलायन जैसे मुद्दों पर चुनावी मैदान में उतरी है, इसके चुनाव चिह्न के रूप में 'स्कूल बैग' को चुना गया है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि जन सुराज कुछ सीटों पर समीकरण को प्रभावित कर सकती है, विशेषकर उन क्षेत्रों में जहां लोग पारंपरिक दलों से असंतुष्ट हैं।


विश्लेषकों की राय

पटना विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर और राजनीतिक विश्लेषक नवल किशोर चौधरी ने कहा, "इस बार दोनों गठबंधनों के बीच मुकाबला कड़ा है, लेकिन जन सुराज पार्टी कुछ उम्मीदवारों की जीत या हार को प्रभावित कर सकती है।" उन्होंने यह भी बताया कि JSP किन सीटों पर प्रभाव डालेगी, यह उनके प्रत्याशियों की पहली सूची से स्पष्ट होगा, जो 9 अक्टूबर को जारी की जाएगी।


तेजस्वी यादव की चुनावी रणनीति

राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव इस बार दो सीटों से चुनाव लड़ सकते हैं। उन्होंने 2015 और 2020 में वैशाली जिले की राघोपुर सीट से जीत हासिल की थी, लेकिन अब उनके फूलपरास (मधुबनी) से भी चुनाव लड़ने की संभावना जताई जा रही है। फूलपरास में यादव और मुस्लिम मतदाता महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जबकि पिछली बार यहां जेडीयू की शीला कुमारी ने कांग्रेस उम्मीदवार को लगभग 10 हजार वोटों से हराया था।


पिछले चुनावों का विश्लेषण

2020 के चुनाव में बीजेपी ने सहारसा, दरभंगा, बेगूसराय, पटना साहिब, बांकिपुर जैसी सीटों पर जीत दर्ज की थी, जबकि जेडीयू ने नालंदा, हर्नौत, तारापुर, और वैषाली जैसी सीटें जीती थीं। दूसरी ओर, आरजेडी ने हथुआ, मधेपुरा, सिमरी-बख्तियारपुर, राघोपुर और मोकाामा जैसी सीटों पर जीत हासिल की थी। कांग्रेस ने मुजफ्फरपुर और बक्सर जैसी सीटों पर अच्छा प्रदर्शन किया था।


वामपंथी दलों का प्रदर्शन

पिछले चुनाव में वामपंथी दलों ने भी प्रभाव डाला था, जहां CPI (एम-एल) ने 12 सीटें जीती थीं, जबकि CPI और CPM को दो-दो सीटें मिली थीं। कुल मिलाकर आरजेडी ने 75, बीजेपी ने 74, जेडीयू ने 43 और कांग्रेस ने 19 सीटें जीती थीं।


आगामी चुनावों की तिथियाँ

आगामी चुनाव दो चरणों में 6 और 11 नवंबर को होंगे, और परिणाम 14 नवंबर को घोषित किए जाएंगे। चुनावी माहौल अब धीरे-धीरे गर्म हो रहा है। एनडीए नीतीश कुमार और नरेंद्र मोदी की जोड़ी बताकर वोट मांग रहा है, जबकि महागठबंधन बेरोज़गारी, भ्रष्टाचार और शासन की विफलताओं को मुद्दा बना रहा है। जन सुराज पार्टी जैसे नए दल तीसरे विकल्प के रूप में जनता के बीच अपनी जगह बनाने की कोशिश कर रहे हैं।