बिहार विधानसभा चुनाव: अमौर सीट पर महागठबंधन और एनडीए के बीच कड़ा मुकाबला

बिहार विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में अमौर सीट पर महागठबंधन और एनडीए के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिल रहा है। मुस्लिम मतदाता इस सीट पर निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं, जहां जेडीयू, AIMIM और कांग्रेस के प्रमुख उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं। पिछले चुनावों के परिणामों का विश्लेषण करते हुए, यह स्पष्ट होता है कि जातिगत समीकरण और विकास के मुद्दे इस बार भी महत्वपूर्ण रहेंगे। जानें इस सीट के चुनावी इतिहास और प्रमुख उम्मीदवारों के बारे में।
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बिहार विधानसभा चुनाव: अमौर सीट पर महागठबंधन और एनडीए के बीच कड़ा मुकाबला

अमौर विधानसभा सीट पर मतदान

बिहार विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में अमौर विधानसभा सीट पर मतदान की प्रक्रिया शुरू होगी। यह सीट पूर्णिया जिले में स्थित है और यहां मुस्लिम मतदाता अधिक हैं। महागठबंधन और एनडीए के बीच यहां सीधा और प्रतिस्पर्धात्मक मुकाबला देखने को मिल रहा है। जातिगत समीकरण और विकास के मुद्दे इस चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। उल्लेखनीय है कि इस सीट से तीन प्रमुख मुस्लिम उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं।


मुख्य उम्मीदवारों की जानकारी

अमौर सीट पर जेडीयू ने साबिर अली को अपना उम्मीदवार बनाया है। वहीं, ओवैसी की पार्टी AIMIM से अख्तरुल ईमान विधायक हैं, जिन्हें एक बार फिर से AIMIM ने मैदान में उतारा है। कांग्रेस पार्टी ने इस सीट पर अब्दुल जलील मस्तान को टिकट दिया है।


मुस्लिम मतदाता की भूमिका

अमौर विधानसभा क्षेत्र में मुस्लिम मतदाता लगभग 50 प्रतिशत हैं। इसके अलावा यादव और अन्य पिछड़ा वर्ग के मतदाता भी महत्वपूर्ण हैं, जो चुनावी परिणामों को प्रभावित कर सकते हैं। पिछली बार, यानी 2020 के चुनाव में, AIMIM के उम्मीदवार ने इस सीट पर जीत हासिल की थी।


पिछले चुनावों का विश्लेषण

2020 के विधानसभा चुनाव में, AIMIM के उम्मीदवार अख्तरुल ईमान ने अमौर सीट पर जीत दर्ज की थी। जेडीयू के साबिर अली दूसरे स्थान पर रहे, जबकि कांग्रेस के अब्दुल जलील मस्तान को तीसरे स्थान पर संतोष करना पड़ा। 2015 के चुनाव में, अब्दुल जलील मस्तान ने इस सीट पर जीत हासिल की थी।