बिहार विधानसभा चुनाव 2025: बाहुबलियों की राजनीतिक विरासत का नया अध्याय

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में बाहुबलियों की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने वाले नए चेहरों की चर्चा हो रही है। वीणा देवी, शिवानी शुक्ला, और ओसामा शहाब जैसे नेता चुनावी मैदान में उतरने के लिए तैयार हैं। जानें इन नेताओं की कहानी और उनके परिवारों का राजनीतिक प्रभाव कैसे चुनावी रणनीतियों को प्रभावित कर रहा है। क्या ये नए चेहरे बिहार की राजनीति में बदलाव ला पाएंगे? पूरी जानकारी के लिए पढ़ें।
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बिहार विधानसभा चुनाव 2025: बाहुबलियों की राजनीतिक विरासत का नया अध्याय

बिहार की राजनीति में बाहुबलियों का प्रभाव

बिहार विधानसभा चुनाव 2025: बाहुबलियों की राजनीतिक विरासत का नया अध्याय


मोकामा विधानसभा क्षेत्र में, राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने प्रभावशाली नेता सूरजभान सिंह की पत्नी वीणा देवी को 2025 के चुनाव के लिए उम्मीदवार बनाया है। सूरजभान की क्षेत्रीय ताकत और बाहुबलियों की छवि के चलते उनकी उम्मीदवारी चर्चा का विषय बनी हुई है।


बिहार की राजनीति में बाहुबलियों के परिवारों का चुनावी मैदान में आना अब सामान्य हो गया है, और वीणा देवी इसका एक प्रमुख उदाहरण हैं। वे मोकामा से जनता दल यूनाइटेड (JDU) के अनंत सिंह के खिलाफ चुनाव लड़ेंगी।


वीणा देवी ने 2010 में लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) के टिकट पर राजनीति में कदम रखा और 2014 में नवादा लोकसभा सीट से सांसद बनीं। उस समय वे बिहार की कुछ चुनिंदा महिला सांसदों में से एक थीं।


LJP के चिराग पासवान और पशुपति पारस के बीच विभाजन के बाद, वीणा देवी ने पशुपति पारस के राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी का समर्थन किया। सूरजभान सिंह की मजबूत जनाधार और संगठनात्मक कौशल का लाभ उन्हें मिलता रहा है, जिससे मोकामा और उसके आस-पास के क्षेत्रों में उनका प्रभाव बना हुआ है। 2025 के चुनाव में उनकी उम्मीदवारी को सूरजभान की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने की रणनीति के रूप में देखा जा रहा है।


नए चेहरे और राजनीतिक विरासत

शिवानी शुक्ला, जो मुन्ना शुक्ला की बेटी हैं, को RJD ने वैशाली जिले के लालगंज विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाया है। शिवानी ने बरकतउल्ला विश्वविद्यालय से सामाजिक कार्य में मास्टर्स किया है। 2025 के चुनाव में यह उनका पहला बड़ा राजनीतिक कदम है, जिसे मुन्ना शुक्ला की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने की कोशिश माना जा रहा है। हालांकि, उनके पास कोई व्यक्तिगत राजनीतिक अनुभव नहीं है, लेकिन लालगंज में उनके परिवार का प्रभाव मजबूत है।


मोहम्मद शहाबुद्दीन के बेटे ओसामा शहाब को RJD ने सीवान जिले के रघुनाथपुर विधानसभा क्षेत्र से उम्मीदवार बनाया है। लंदन से कानून की पढ़ाई पूरी करने के बाद, ओसामा 2025 के चुनाव में अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत कर रहे हैं। उनकी उम्मीदवारी ने क्षेत्र में सियासी हलचल पैदा कर दी है।


अनंत सिंह और अन्य बाहुबली नेता

अनंत कुमार सिंह, जिन्हें 'छोटे सरकार' के नाम से जाना जाता है, मोकामा विधानसभा क्षेत्र से कई बार विधायक रह चुके हैं। उन्होंने RJD से अपने करियर की शुरुआत की और लालू प्रसाद यादव के करीबी रहे। बाद में JDU में शामिल हुए, लेकिन नीतीश कुमार से मतभेद के बाद निर्दलीय के रूप में भी जीत हासिल की। उन पर हत्या, अपहरण और अवैध हथियार रखने जैसे गंभीर आरोप हैं। 2019 में उनके घर से AK-47 बरामद होने के बाद वे जेल गए, लेकिन उनका जनाधार कम नहीं हुआ। 2025 में वे फिर से मोकामा से चुनावी मैदान में हैं।


बेगूसराय जिले के मटिहानी विधानसभा क्षेत्र से बाहुबलि नेता नरेंद्र कुमार सिंह, उर्फ बोगो सिंह, ने 2005 में निर्दलीय के रूप में जीत हासिल की थी। बाद में वे JDU में शामिल हुए और 2010 व 2015 में जीते। हाल ही में उन्होंने JDU छोड़कर RJD में शामिल होने की घोषणा की।


मनोरंजन सिंह, उर्फ धूमल सिंह, सारण जिले के एकमा विधानसभा क्षेत्र से JDU के विधायक हैं। 2000 में उन्होंने बनियापुर से निर्दलीय के रूप में जीत हासिल की थी। उनकी दबंग छवि और क्षेत्रीय प्रभाव के कारण उनकी उम्मीदवारी ने 2025 के चुनाव में एकमा में सियासी सरगर्मी बढ़ा दी है।


गोपालगंज के कुचायकोट विधानसभा क्षेत्र से पांच बार के विधायक अमरेंद्र कुमार पांडेय, उर्फ पप्पू पांडेय, JDU के प्रमुख नेता हैं। 2005 में उन्होंने BSP के टिकट पर राजनीति शुरू की और 2010 में JDU में शामिल होकर लगातार जीत दर्ज की।


दानापुर विधानसभा क्षेत्र से RJD विधायक रीतलाल यादव का जन्म 16 जनवरी 1972 को हुआ। उनकी राजनीतिक यात्रा विवादों से भरी रही है। 2010 में वे निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में हारे, लेकिन 2015 में जेल से MLC का चुनाव जीता। 2020 में RJD के टिकट पर उन्होंने BJP की आशा देवी सिन्हा को हराया।